" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Jupiter Transit 2016-2017 /गुरु कन्या राशि में 2016-2017

बृहस्पति कन्या राशि में/बृहस्पति का राशि परिवर्तन/ गुरु का राशि परिवर्तन 2016-2017

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गुरु का राशि परिवर्तन सिंह राशि से कन्या राशि में 11 अगस्त (बृहस्पतिवार), 2016 को हो रहा है. समय:22:24 . विशेष: गुरु के राशि परिवर्तन के होने वाले यह परिणाम अत्यंत सामान्य आधार पर हैं , साथ ही यह राशिफल मैंने लग्नराशि के आधार पर दिया है चन्द्र राशि या सूर्य राशि के आधार पर नहीं . पाठकों से अनुरोध है कि किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली की जाँच कराकर ही किसी निश्चित निष्कर्ष पर पहुंचे .

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mesh मेष : मेष लग्न के जातकों के लिए बृहस्पति भाग्य और द्वादशा भाव का स्वामी है और लग्नेश मंगल का परम मित्र है , यह अब पंचम भाव से छठे भाव में प्रवेश करेगा , अतः बहुत शुभ नहीं है यह आर्थिक हानि को बढ़ाएगा हालाकि यहाँ आया हुआ गुरु आयु में वृद्धि करता है परन्तु रोग भी देगा विशेष कर मधुमेह और लीवर सम्बन्धी रोग होने का भय अधिक रहता है , विचार में सज्जनता रहेगी तथा दूसरों की मदद करने को तत्पर रहेंगे साथ ही जो लोग ज्ञान के क्षेत्र से जुड़े हुए हैं उन्हें बहुत लाभ होगा. लेकिन अनावश्यक खर्च भी करते रहेंगे , यह गुरु आपको शत्रु भय भी देगा, हमेशा कोई ना कोई पीछे लगा रहेगा . यदि कुंडली में भी गुरु भाग्य्भंग योग बना रहा हो तो गुरु की वैदिक शांति कराना तथा गुरु सम्बन्धी दान करना बेहतर रहेगा .

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vrishabha वृष : आयेश और अष्टमेश गुरु अब आपके पंचम भाव में आ रहा है और यह ज्ञान का ग्रह है अतः बौधिक क्षमता में खूब वृद्धि करेगा थोड़ी तर्कवादी विचारधारा रहेगी और बात में तर्क – वितर्क करेंगे परन्तु फिर भी यह अच्छा परिणाम ही देगा , हाँ संतान पक्ष से कुछ कष्ट मिल सकता है.  हो सकता है आपकी संतान इस समय विरोधी स्वभाव की हो जाये या उसकी उग्रता बढ़ जाये . यह गुरु आर्थिक लाभ भी देगा , धन की निरंतरता रहेगी साथ ही परीक्षा – प्रतियोगिता में भी सफलता मिलेगी . कुल मिलाकर देखा जाये तो यह गुरु आपके लिए लाभकारी अधिक और हानिकर कम होगा .

mithun मिथुन : सप्तमेश और दशमेश गुरु अब आपके चतुर्थ भाव में प्रवेश करेगा , हालाकि गुरु आपके लिए बहुत शुभ फलदायी नहीं है परन्तु इसके इस गोचर की स्थिति अत्यंत ही सुखकारी है , गुरु के प्रभाव से आप नेक राह पर चलेंगे , सज्जनता आपके अन्दर प्रवाहित होगी , यह गुरु सब प्रकार के भौतिक और आध्यात्मिक सुख देने में सक्षम है , इस समय शत्रु भी आपके कायल हो जायेंगे . इस समय आपसे विवाद करना कठिन होगा क्योंकि यह गुरु जल्दी किसी से उलझाएगा नहीं और ना आप उलझेंगे . बहुत मान – प्रतिष्ठा मिलेगी . गुरु की यह स्थिति आपके लिए अत्यंत ही उत्तम है , लाभ उठायें .

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karka कर्क:   कर्क लग्न के जातकों के लिए गुरु छठे और नवम भाव का स्वामी है जो अब आपके तीसरे भाव में आ रहा है , यहाँ से यह आपके भाग्य स्थान को पूर्ण दृष्टि से देखेगा अतः भाग्य बहुत प्रबल रहेगी , इस समय कार्य के मामले में एक अजीव सी स्थिति उत्पन्न हो सकती है , बहुत से लोगों के लिए यह गुरु नौकरी को छुड़ाकर अपने व्यवसाय की ओर प्रेरित करेगा तो वहीँ कई लोगो को अपना व्यवसाय छोड़कर नौकरी करने पर मजबूर कर देगा अतः जिन लोगो को भी अपने वर्तमान कार्य में कठिनाई का अनुभव हो रहा हो वे पहले ही सतर्क हो जायें , थोड़ी कंजूसी की प्रवृत्ति भी बढ़ेगी . इसेक यहाँ आने से आपके भाइयों के कार्यों में भी कुछ ना कुछ अवरोध अवश्य उत्पन्न होगा . ज्ञान वर्धन के लिए गुरु की यह स्थिति अत्यंत ही लाभकारी है.


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simha सिंह : सिंह लग्न के जातकों के लिए गुरु पंचम और अष्टम भाव का स्वामी है परन्तु राशि स्वामी सूर्य का परम मित्र है अतः अधिकांशतः अच्छा परिणाम ही देता है , परन्तु यह आपके लग्न से अब दूसरे भाव में प्रवेश करेगा और लगभग 13 महीनों तक यहीं विराजमान रहेगा . गुरु की यह स्थिति बहुत लाभप्रद नहीं है बल्कि यह मिश्रित परिणाम देने वाला होगा जहाँ यह ज्ञान और प्रतिष्ठा में वृद्धि करेगा वहीँ धन संग्रह में कठिनाई उत्पन्न करेगा , पारिवारिक समस्या भी परेशान करेगी . हाँ वाणी बहुत ओजस्वी रहेगी और लोगों को प्रभावित करेंगे अपने ज्ञान और तर्कशक्ति से . परन्तु करियर – व्यवसाय इत्यादि में कठिनाई उत्पन्न अवश्य करेगा यदि वर्तमान दशा किसी प्रतिकूल ग्रह की हुई तो सावधानी अपेक्षित है.

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kanya कन्या : कन्या लग्न वालों के लिए गुरु चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी है जो अब आपके लग्न में ही आ रहा है , यहाँ से इसकी सीधी दृष्टि आपके पंचम , सप्तम और नवम भाव पर होगी . लग्नस्थ गुरु को अत्यंत ही शुभ माना जाता है , हर प्रकार के सुख की अनुभूति होगी यदि जन्म के समय भी लग्नस्थ गुरु है तो कहने ही क्या . जीवन साथी के साथ सहयोग बढेगा , साझेदारी के कार्यों में बहित लाभ होगा , जो लोग अविवाहित हैं उनके लिए विवाह करने के लिए यह सर्वोत्तम समय होगा तथा विवाह के बाद भाग्योदय होगा . ज्ञान – पद – प्रतिष्ठा – उत्थान सब कुछ यह गुरु देने में सक्षम है . अतः मैं यह कह सकता हूँ कि कम से कम इस समय गुरु के कारण आपको किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं आने वाली .

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tula तुलाआपके लिए गुरु तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और मारकेश है , लग्नेश शुक्र का परम शत्रु है अतः अधिकांशतः अशुभ परिणाम ही देता है यह आपके द्वादश भाव में आ रहा है अतः यह गुरु गलत कार्यों में और व्यसन में धन खर्च करा सकता है . आर्थिक विषमतायें उत्पन्न करने में यह गुरु सक्षम है . मित्र इस समय धोखा दे सकते हैं और आपको किसी मुसीबत में डाल सकते है . यह गुरु आपकी मान हानि कराने में भी तत्पर रहेगा अतः यदि आप किसी भी प्रकार से किसी भी गलत कार्य में लिप्त हैं तो सतर्क हो जायें और उलझे हुए हैं तो तुरंत इसका समाधान कराएँ अन्यथा यह बहुत परेशानी उत्पन्न कर सकता है , कुल मिलाकर यह गुरु आपको लिए संघर्ष की स्थिति उत्पन्न कराएगा .

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vrishchika वृश्चिक : वृश्चिक लग्न वालों के लिए गुरु लाभेश और पंचमेश है और अब यह आपके एकादश भाव में आ रहा है जिसकी सीधी दृष्टि आपके तीसरे , पंचम और सप्तम भाव पर होगी . तीसरे भाव पर इसकी नीच दृष्टि होगी . आप अपने भाइयों का सहयोग करेंगे , इस गुरु की एक अच्छी बात है कि यह ज्ञान अर्जन के लिए अत्यंत ही उपयोगी है , यदि इसके समय में आप किसी प्रकार की शिक्षा – प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं तो सफलता लगभग निश्चित है यदि और ग्रह गोचर ठीक हो तो . इसका सबसे नकारात्मक प्रभाव उन लोगों के लिए हैं जिन्हें किसी प्रकार की पैतृक संपत्ति मिलने की सम्भावन है उन्हें इस समय निराश होना पड़ सकता है चाहे आपके पास कितनी ही पैतृक संपत्ति क्यों ना हो इस समय उसे प्राप्त करने में अत्यंत ही कठिनाई होगी . इस समय संतान के कारण भी प्रसन्नता होगी और यदि संतान के लिए प्रयास करें तो सफलता मिलेगी .

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dhanu धनु: धनु लग्न के जातकों के लिए गुरु लग्नेश और चतुर्थेश है जो अब आपके भाग्य स्थान से दशम भाव में गोचर करेगा , यह अत्यंत ही सुखद और राजयोगकारी है , धन संग्रह को छोड़ दें तो यह गुरु अत्यंत ही शुभकारी है . जिस प्रकार का कार्य भी आप  पूर्व में किये होंगे उसके अनुरूप यह इस समय आपको सम्मान और प्रतिष्ठा अवश्य दिलाएगा , आपके कार्यों की सराहना होगी . शत्रु पक्ष भी आपके दरियादिली से प्रभावित रहेगा . इस समय भूमि – भवन – वाहन इत्यादि का कार्य करना श्रेयस्कर रहेगा . पिता से कुछ वैचारिक मतभेद दिला सकता है परन्तु आप उनके प्रति समर्पित रहेंगे . समज सेवा तथा राजनितिक क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को अद्भुत सम्मान और उन्नति मिल सकती है विशेष कर यदि गुरु की ही दशा हो . शुभकर है यह गुरु लाभ उठाइए .

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makara मकर : द्वादश और तीसरे भाव का स्वामी गुरु अब आपके भाग्य स्थान पर आएगा , यह आपके लिए अवरोधक का कार्य करेगा , हर कार्य में कुछ ना कुछ कठिनाई का अनुभव करेंगे आप , अचानक धन की हानि होती रहेगी बिना किसी योजना के अतः आप परेशान हो उठेंगे . स्वास्थ्य के लिए भी यह बहुत उत्तम नहीं है , परिश्रम का फल देर से मिलेगा अतः धैर्य की जरुरत होगी . करीबी लोगों से सहयोग तो मिलेगा परन्तु मतभेद और विवाद के बाद . इसका एक ही बेहतर परिणाम होगा और वह कि यह आपके आत्मबल को मजबूत करेगा , आत्मावलोकन कराएगा और न्याय तथा धर्म के पथ पर बनाये रखेगा साथ ही कुछ धार्मिक कार्यों को भी पूर्ण कराएगा , अनायास ही आप का मन धार्मिक गतिविधियों की ओर खिंचा चला जायेगा .

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kumbha कुम्भ : कुम्भ लग्न के जातकों के लिए गुरु धन पर पूरा नियंत्रण रखता है जो अब आपके अष्टम भाव में प्रवेश कर रहा है यह कहीं से भी स्वास्थ्य , धन , प्रतिष्ठा के लिए शुभ नहीं है धन की आवक कम और जाने के मार्ग अधिक होंगे , स्वास्थ्य के लिए भी यह हानिकारक ही है , यह गुरु कर्ज लेने तक की स्थिति उत्पन्न कर सकता है साथ ही आपको आपका धन नहीं मिलेगा जल्दी विशेष कर कर्ज यदि किसी को दिया हुआ है तो वह इस समय मिलना अत्यंत ही कठिन हो जायेगा या बहुत प्रयास के बाद ही मिलेगा . बड़े भाई को कष्ट हो सकता है या उसके कारण कोई आपको परेशानी उत्पन्न हो सकती है . कुल मिलाकर यह गुरु ठीक नहीं है यदि कुंडली में भी गुरु की स्थिति अच्छी नहीं है या किसी विपरीत ग्रह की दशा है तो गुरु का पहले ही उपचार कराना बेहतर रहेगा .

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meena मीन: मीन लग्न के जातकों के लिए गुरु लग्नेश और दशमेश है जो अब सप्तंभव में आ रहा है जहाँ से आपके ऊपर इसकी सीधी दृष्टि होगी . केंद्र में गुरु का आना शुभ सूचक है इस समय आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी , परिश्रम सार्थक होगा . आपका इस समय विकास चहुमुखी होगा . ख्याति देने वाला होगा यह गुरु , इसका एक नकारात्मक पक्ष जो मैं देखता हूँ वह आपके जीवन साथी के स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्या जिसे यह या तो उत्पन्न कर सकता है या यह उसे बढ़ा सकता है , जो लोग विवाह की प्रतीक्षा में हैं उनके लिए यह समय बेहतर है . रिश्तों के मामलों में भी यह गुरु बेहतर परिणाम देने वाला होगा . आपका धन सही और सार्थक दिशा में व्यय होगा अर्थात सृजन करने वाला होगा . सुखद समय का आभास कराएगा यह गुरु आपके लिए .

 

गुरु सम्बंधित उपचार :

  1. सामान्य अवस्था में गुरु सम्बंधित दान करें जैसे – पीला वस्त्र , बेसन की मिठाइयाँ , केला इत्यादि और इन वस्तुओं का स्वयं त्याग करें .
  2. गुरु के मन्त्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः ” या “ॐ ब्रीं बृहस्पतये नमः ” का जप करें
  3. विष्णु सहस्त्र नाम का जप भी अत्यंत लाभकारी है
  4. कोर्ट केस या मुकदमे की स्थिति यदि गुरु के कारण बन रही है तो  गजेन्द्र मोक्ष का पाठ करें या कराएँ .
  5. गंभीर स्थिति में गुरु की वैदिक रीति से शांति करायें .

ॐ नमः शिवाय

शुभम भवतु !

ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे  <View Profile>

 


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