17 अप्रैल (रविवार ), 2016
17 जून, 2016 को तुला में प्रवेश वक्री अवस्था में ही
29 जून, 2016 को तुला में मार्गी
12 जुलाई, 2016 को पुनः मार्गी अवस्था में वृश्चिक में प्रवेश
18 सितम्बर, 2016 तक वृश्चिक में और उस दिन पुनः मंगल का धनु राशि में प्रवेश
आग और पानी दोनों ही उगलेगा यह मंगल .. हादसों का समय ..
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मेष : लग्नेश और अष्टमेश अष्टम भाव में वक्री हो रहा है अतः वैवाहिक जीवन कष्टकर , परिश्रम निरर्थक , अनावश्यक के विवाद , स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानी
वृष : सप्तमेश और द्वादशेश सप्तम भाव में वक्री तथा शनि भी वक्री. दो वक्री ग्रहों का मेल अतः अत्यंत ही संवेदनशील समय दर्शाता है तथा इसकी शरीर पर दृष्टि भी रहेगी अतः स्वास्थ्य कमजोर रहेगा. वैवाहिक जीवन को संभाले , जीवन साथी के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखें , करीबियों से मतभेद , भाग्य पक्ष कमजोर तथा उच्च अधिकारीयों से तनाव की आशंका.
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मिथुन : लाभेश और षष्टेश मंगल छठे भाव में वक्री. धन लाभ अधिक मात्रा में होगा. शत्रु से लगातार परेशानी परन्तु अंतिम विजय आपकी रहेगी. गंभीर चोट – चपेट की संभावना , रक्त और पेट सम्बन्धी समस्या . ऑपरेशन की संभावना , लम्बे समय के रोग को अब नहीं टाल पाएंगे. विकराल रूप ले सकता है
कर्क : दशमेश और पंचमेश मंगल पंचम भाव में वक्री साथ ही शनि कि युति , सोच में उग्रता और शिथिलता दोनों ही रहेगी. बड़े अधिकारीयों से तनाव , संतान को कष्ट , चोट – चपेट की सम्भावना , गर्भवती महिलाऐं बेहद सतर्क रहें .
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सिंह : चतुर्थेश और भाग्येश मंगल चतुर्थ भाव में ही वक्री , दो क्रूर ग्रह चतुर्थ भाव में वक्री अतः स्वास्थ्य को लेकर बेहद सतर्कता की आवश्यकता , पारिवारिक सुख में कमी , बड़े – बुजुर्गों को खतरा , माता – पिता को कष्ट संभावित , वैवाहिक जीवन में बहुत तनाव.
कन्या : तीसरे और अष्टम भाव का स्वामी तीसरे भाव में वक्री, अतः करीबी लोगो से धोखा , भाइयों से तनाव संभावित , भाग्य पक्ष बेहद कमजोर , अनावश्यक का वाद – विवाद , स्नायु तंत्र में समस्या , शरीर के निचले हिस्से का विशेष ध्यान रखें.
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तुला : दूसरे और सप्तम भाव का स्वामी दूसरे भाव में वक्री और शनि भी , आर्थिक स्थिति अनियंत्रित , वाणी कड़वी और कठोर , अचानक गलत संगत की संभावना , धन की बचत संभव नहीं , जमीन से सम्बन्धीत नए कार्यों में बिल्कुल हाथ ना डाले .
वृश्चिक : अत्यंत ही सवेदनशील समय , घटना – दुर्घटना का प्रबल योग बनेगा , सभी कार्य धीमे होंगे और उसके बाद बंद , बहुत धैर्य की आवश्यकता पड़ेगी . जीवन साथी से तनाव चरम पर होगा , कुछ लोगों का विवाह विच्छेद भी हो सकता है , स्थान परिवर्तन का योग भी बनेगा , उपचार का सहारा लें.
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धनु : धन की आवक बहुत बढ़ेगी , परन्तु मन स्थिर नहीं रहेगा , करीबी लोगों से विवाद हो सकता है , यात्रा कष्टकारी होगी परन्तु सुदूर के कार्यों में लाभ भी होगा . संतान के मामले में कुछ परेशानी संभव है . शिक्षा के लिए यह समय अच्छा नहीं है. थोडा ठहरें
मकर : चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी एकादश भाव में वक्री , खूब धन का लाभ , अचानक और अप्रत्याशित धन प्राप्त होने की सम्भावना परन्तु वैसे ही जाने के मार्ग भी खुले रहेंगे. अचानक विवाद की स्थिति भी बनेगी . जिनकी कुंडली में मंगल जन्म के समय भी ख़राब हो उन लोगों से कोई अपराध हो सकता है आवेश में आने से बचें , साथ ही शिक्षा में रुकावट , संतान को कष्ट , गर्भवती महिलायें बेहद सतर्कता बरतें .
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कुम्भ : तीसरे और दशम भाव का स्वामी मंगल दशम भाव में वक्री , मान – अपमान की स्थिति , कोर्ट कचहरी से सावधान , कोई केस – मुकदमा है तो कारागार का भय हो सकत है , पहले ही सावधानी बरतें या उपचार करें , अपने उच्च अधिकारियों से बेहद सावधानी से पेश आयें , अपने भावों को अपने नियंत्रण में रखें , स्थान परिवर्तन के लिए यह समय बिलकुल ही अच्छा नहीं .
मीन : लाभेश और भाग्येश मंगल भाग्य स्थान पर वक्री , हर कार्य में अवरोध , अनावश्यक के व्यय , धन की बचत संभव नहीं , माँ के स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहें खुद भी उच्च रक्त चाप के मरीज हैं तो सावधान रहें , उग्रता और गलत सांगत से दूर रहें .
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