" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

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मेष राशिफल 2016

राशिफल 2016/ मेष 2016/Mesh Rashifal 2016 In Hindi/ Mesh 2016

Aries Rashifal 2016/ Aries Horoscope 2016/ Aries 2016

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वर्ष 2016 में ग्रहों की स्तिथियाँ यह बता रही हैं कि इस वर्ष आपका आत्मबल बढ़ा रहेगा एवं धन कमाने की इच्छाशक्ति भी प्रबल रहेगी. शनि की सीधी दृष्टि द्वितीय भाव पर होने के कारण धन के मामलों में भी परिणाम मिले जुले ही होंगे. बहुत अधिक आय या बहुत अधिक व्यय नहीं होगा. अचानक धन प्राप्ति  के योग भी इस वर्ष बने हुए  हैं परन्तु किसी भी प्रकार के नए निवेश से बचें. नए प्रयोग या नए कार्यों में हाथ न डालें तो बेहतर होगा.

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वर्ष 2016 आपके सवास्थ्य के लिए अशुभ हो सकता है  विशेषकर शनि- शुक्र या शुक्र-शनि की दशा एवं अन्तर्दशा में. गठिया या ह्रदय से सम्बंधित रोगों के होने या बढ़ने का खतरा अधिक है.

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शनि की तीसरी दृष्टि दशम भाव पर पड़ने के कारण समाजिक उत्थान, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि के शुभ संकेत मिल रहे हैं. परन्तु यदि आपकी जनम कुंडली में शनि वक्री है तो इसके परिणाम विपरीत  भी हो सकते हैं. शिक्षा परतियोगिता के लिए वर्ष 2016 मिला जुला रहने वाला है. स्वास्थ्य के प्रति बेहद सावधानी बरतने की आवश्यकता है. संतान के मामले में भी यह वर्ष कुछ  परेशानी की ओर संकेत दे रहा है. गर्भवती महिलायों को विशेष सावधानी रखने की आवश्यकता. संतान को कोई शारीरिक कष्ट हो सकता है जो आपके तनाव का कारण बनेगा.

प्रतियोगिता ओर शिक्षा क्षेत्र के लिए यह समय शुभ नहीं है. संतान के स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव पड़ सकता है, शारीरिक कष्ट की सम्भावना बनी हुई है.

बृहस्पति मेष राशि के लिए बहुत शुभ माने जाते हैं क्योंकि यह मेष राशि के भाग्य के स्वामी हैं. भाग्य के स्वामी का पंचम में बैठना अत्यंत शुभ माना गया है. विद्या और  बुद्धि के लिए ब्रहस्पति बहुत ही शुभ रहेंगे  विशेषकर जब ब्रहस्पति की  दशा या अन्तर्दशा चल रही हो. बृहस्पति की पंचम दृष्टि भाग्य स्थान पर होने के कारण भाग्य का साथ बना रहेगा.

जो लोग प्राच्य विद्या या अध्यात्म से जुड़े हुए हैं उनके लिए  वर्ष 2016 लाभकारी साबित होगा.

बुरी संगत और अनैतिक कार्यों से दूरी बनाये रखें अन्यथा इसके दोगुने परिणाम आपको भुगतने पड़ेंगे. नास्तिकता बढेगी और कभी कभी आप की बुद्धि षड्यंत्रकारी और नकारात्मक विचारों की ओर जाएगी , इसलिए सावधान और सतर्क रहें.

सावधानी

  • बुरी संगत और अनैतिक कार्यों से दूरी बनाये रखें
  • गरिष्ठ पदार्थों का सेवन न करें.

उपचार

  • शुक्र की दशा या अन्तर्दशा में नियमित भगवान् शिव की आराधना करें.
  • प्रत्येक शनिवार शनि मंदिर या पीपल अथवा बरगद के पेड़ के नीचे सरसों के तेल या कर्पूर का दीपक जलाएं.
  • शनि सम्बंधित दान करे.
  • आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ करें
  • शनि या शुक्र की महादशा या अन्तर्दशा में रुद्राभिषेक या लघु  महा म्रत्युन्जय अनुष्ठान  कराएँ

शुभम भवतु 

पं. दीपक दूबे 

 

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