शारदीय नवरात्र : 13 अक्टूबर ,2015 से 21 अक्टूबर ,2015
(Navratri : 13 October,2015 to 21 October,2015)
इस बार शारदीय नवरात्र 13 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहा है तथा 21 अक्टूबर को समाप्त हो रहा है , विजय दशमी २२ अक्टूबर को मनायी जाएगी .
जाने नवरात्र से सम्बंधित देवी , ध्यान मंत्र, रंग ओर ग्रह शांति
(Navratri : Devi, Dhyan Mantra , Color & Grah Shanti)
माँ भगवती के नौ स्वरुप
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च । सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः ।।
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नवरात्र का पहला दिन
13 अक्टूबर , 2015
माँ भगवती के प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री को समर्पित है. माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं इसलिए इन्हें पार्वती एवं हेमवती के नाम से भी जाना जाता है. भक्तगण माँ शैलपुत्री की आराधना कर मन वांछित फल प्राप्त करते हैं.
ध्यान मंत्र :
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
प्रथम नवरात्र को आप पूजा के समय पीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें. इस दिन मंगल शांति की पूजा लाभकारी होती है.
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नवरात्र का दूसरा दिन
14 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के स्वरुप माँ ब्रहाम्चारिणी को समर्पित है. इस स्वरुप में माँ ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या कि थी इसीलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है.
ध्यान मंत्र:
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
नवरात्र के दुसरे दिन आप पूजा में मटमैले रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं यह दिन राहू शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन है.
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नवरात्र का तीसरा दिन
15 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के स्वरुप माँ चंद्रघंटा को समर्पित है. यह माँ पार्वती का सुहागिन स्वरुप है इस स्वरुप में माँ के मस्तक पर घंटे के आकर का चंद्रमा सुशोभित है इसीलिए इनका नाम चन्द्र घंटा पड़ा. माँ चंद्रघंटा की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है एवं उनको असीम शांति और वैभवता की प्राप्ति होती है.
ध्यान मंत्र:
पिण्डज प्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसीदम तनुते महयं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।
नवरात्र के तीसरे दिन आप पूजा में हरे रंग के वस्त्रों का प्रयोग क्कर सकते हैं. यह दिन ब्रहस्पति सम्बंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन है.
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नवरात्र का चौथा दिन
16 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के स्वरुप माँ कुष्मांडा को समर्पित है. अपने उदर से अंड अर्थात ब्रह्माण्ड को जन देने के कारण इनका यह नाम पड़ा. माँ कुष्मांडा कि आराधना करने वाले भक्तो के रोग दूर होते हैं एवं उन्हें असीम शांति ओर लक्ष्मी कि प्राप्ति होती है.
ध्यान मंत्र:
“वन्दे वांछित कामार्थे चंद्रार्घ्कृत शेखराम
सिंहरुढ़ा अष्टभुजा कुष्मांडा यशस्वनिम “
नवरात्र के चौथे दिन आप पूजा में नारंगी रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन शनि शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम दिन है.
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नवरात्र का पांचवा दिन
17 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के मातृत्व स्वरुप माँ स्कंदमाता को समर्पित है. माँ दुर्गा का यह नाम श्री स्कन्द (कार्तिकेय) की माता होने के कारण पड़ा. माँ स्कन्द माता की आराधना करने वाले भक्तो को सुख शान्ति एवं शुभता कि प्राप्ति होती है.
ध्यान मंत्र:
“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया.
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी.”
नवरात्र के चौथे दिन आप पूजा में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन बुध गृह से सम्बंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम है.
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नवरात्र का छठा दिन
18 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के संघारक स्वरुप माँ कात्यायनी को समर्पित है. महर्षि कात्यायन कि तपस्या से प्रसन्न होकर आदि शक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया इसीलिए इनका नाम कात्यायनी के नाम पड़ा. माँ कात्यायनी के रूप में ही महिषासुर का संहार किया था. पड़ा माँ कात्यायनी की आराधना करने वाले भक्तो के काम सरलता एवं सुगमता से होते हैं.
ध्यान मंत्र:
स्वर्णाआज्ञा चक्र स्थितां षष्टम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥
नवरात्र के चौथे दिन आप पूजा में लाल रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन केतु गृह से सम्बंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम है.
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नवरात्र का सातवाँ दिन
19 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के संघारक स्वरुप माँ कालरात्रि को समर्पित है. इसी स्वरुप में आदिशक्ति ने शुम्भ ओर निशुम्भ नामक असुरों का वध किया था. माँ कालरात्रि की आराधना करने वाले भक्तो के सभी दुःख संताप दूर होते हैं
ध्यान मंत्र:
करालवंदना धोरां मुक्तकेशी चतुर्भुजाम्।
कालरात्रिं करालिंका दिव्यां विद्युतमाला भूषिताम॥
नवरात्र के चौथे दिन आप पूजा में नीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन शुक्र गृह से सम्बंधित शांति पूजा के लिए सर्वोत्तम है.
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नवरात्र का आठवाँ दिन
20 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के गौर वर्ण स्वरुप
महा गौरी को समर्पित है. मान्यतायों के अनुसार बाल्यकाल में आदिशक्ति के अति गौर वर्ण के कारण है. उनका नाम महा गौरी पड़ा. इस दिन माँ के भक्त कन्याओं को माँ भगवती का स्वरुप मानकर उनकी बहुत श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं. माँ के आशीर्वाद से उनके भक्तो के असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.
ध्यान मंत्र:
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
नवरात्र के आठवें दिन आप पूजा में गुलाबी रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन सूर्य से सम्बंधित पूजा के लिए सर्वोत्तम है.
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नवरात्र का नौवां दिन
21 अक्टूबर , 2015
माँ दुर्गा के स्वरुप माँ सिद्धिदात्री को समर्पित है. मान्यतायों के अनुसार ब्रह्माण्ड को रचने के लिए भगवान् शिव को शक्ति देने के कारण माँ भगवती का नाम सिद्धिदात्री पड़ा. माँ सिद्धिदात्री ही भगवान् शिव के अर्धनारीश्वर रूप को पूर्ण करती हैं माँ दुर्गा के इस स्वरुप के साथ ह़ी नवरात्र के अनुष्ठान का समापन हो जाता है.
ध्यान मंत्र:
स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।
शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥
नवरात्र के नौवें दिन आप पूजा में हलके बैंगनी रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं. यह दिन चंद्रमा से सम्बंधित पूजा के लिए सर्वोत्तम है.
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नवरात्रों में किसी भी प्रकार के अनुष्ठान और पूजा का महत्व और परिणाम कई गुना अधिक बढ़ जाता है . नवरात्र के दौरान आप माँ भगवती के पूजन और दुर्गा सप्तसती के पाठ के अलावा निम्नलिखित ज्योतिषीय उपचार भी करा सकते है
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