दुर्गा सप्तसती में लिखित कथा के अनुसार जब पृथ्वी पर राक्षसों ने अत्याचार कि सभी सीमाएं लांघ दी थी और उनको रोकना असंभव हो गया था तब सभी देवतायों ने मिलकर माँ भगवती से प्रार्थना की. माँ भगवती ने देवतायों को उनके नौ स्वरूपों कि आराधना करने के लिए कहा. शक्ति के परम स्त्रोत यह देवी के नौ स्वरुप की पूजा एवं अराधना हिन्दू वर्ष के चैत्र एवं आश्विन मास की प्रथमा तिथि से नवमी तिथि तक की जानी चाहिए. उसी दिन से वर्ष के इन दोनों मास में माँ भगवती के भक्त नौ दिन बहुत श्रद्धा के साथ देवी के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं.
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