प्रेम विवाह योग
आज के परिवेश में प्रेम विवाह एक बहुत ही आम बात हो गयी है. आधुनिक काल में जहाँ युवकों और युवतियों को जीवन के सभी पहलुओं पर अपने विचार रखने की स्वतंत्रता हैं वहीँ भावी जीवन से सम्बंधित निर्णय लेने में भी वह संकोच नहीं करते. अपने जीवन साथी के चुनाव में परिवार के साथ साथ स्वयं उनकी भी स्वीकृति आवश्यक हो गयी है. कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी भी परिस्थितियाँ बनती हैं जिसमे जातक अपने जीवन साथी का चुनाव स्वयं करता है . आगे चलकर कभी परिवार का साथ मिल जाता है और कभी समाज से विरोध को झेलकर भी जातक विवाह बंधन में बंधते हैं. आइये जाने कुंडली में कौन से होते हैं ऐसे योग जिनके कारण प्रेम विवाह की संभावनाएं बनती हैं.
प्रेम विवाह जिसमे परिवार की स्वीकृति भी होती है
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सप्तमेश स्वग्रही हो
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राहु लग्न में हो
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सप्तमेश एवं शुक्र, शनि या राहु के द्वारा दृष्ट हो
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शनि और केतु सातवें स्थान पर हो
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सप्तमेश मंगल या राहु के साथ हो तथा शुक्र द्वारा देखा गया हो या शुक्र से किसी प्रकार का सम्बन्ध हो तो प्रेम विवाह योग बनता है.
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लग्नेश का पंचमेश , सप्तमेश या भाग्येश से सम्बन्ध हो
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एकादश स्थान पर पाप ग्रहों का प्रभाव न हो
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पंचमेश सप्तमेश की युति हो
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चन्द्रमा लग्न में लग्नेश के साथ हो
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चन्द्रमा सप्तम भाव में सप्तमेश के साथ हो
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शुक्र लग्न में या चन्द्रमा के पंचावें स्थान पर हो
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शुक्र नवम में हो तो प्रेम विवाह योग बनता है
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सप्तमेश और एकादशेश परस्पर परिवर्तन करके बैठें हो तथा मंगल पंचम या नवम में हो तो प्रेम विवाह योग बनता है.
अंतर्जातीय विवाह योग
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कर्क लग्न में शनि हो
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नवम भाव, सप्तम भाव तथा नवमेश होकर बृहस्पति का पाप ग्रहों से सम्बन्ध हो तो अन्तेर्जतीय विवाह के योग बनते हैं.
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कर्क लग्न हो, सप्तम में चन्द्रमा शनि से दृष्ट होने पर भी यह योग बनता है.
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लग्न, चन्द्र शुक्र का सप्तमेश से सम्बन्ध हो तथा शुक्र की शनि या राहु से युति हो तथा द्वितीय भाव पाप पीड़ित हो तो अन्तेर्जतीय विवाह के योग बनते हैं.
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