" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
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Pt Deepak Dubey

Shani Dhaiya 2017-2018-2019 /शनि ढैय्या 2017-2018-2019

Impact Of Shani Dhaiya/ Shani Dhaiya 2017/ Shani Dhaiya For Taurus & Virgo/ /शनि ढैय्या का प्रभाव /शनि की ढैय्या 2017/ वृषभ और कन्या राशि पर शनि ढैय्या का प्रभाव 

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shani

शनि 26 जनवरी 2017 को सायं 21:34 बजे वृश्चिक राशि से धनु राशि में प्रवेश कर जायेगा , शनि की यह स्थिति साढ़े साती में परिवर्तन कर देगी . शनि के धनु में प्रवेश करते ही तुला राशि के जातकों को साढ़े साती से पूरी तरह से मुक्ति मिल जाएगी , इसके अलावा वृश्चिक राशि वालों का अंतिम दौर प्रारंभ हो जायेगा तथा धनु वालों के लिए इसका मध्य भाग प्रारम्भ हो जायेगा और मकर राशि के जातकों के लिए शनि साढ़े साती प्रारम्भ हो जाएगी. इसके अलवा शनि की ढैय्या मेष और सिंह राशि से पूरी तरह से समाप्त हो जाएगी तथा वृषभ और कन्या राशि वालों के लिए शनि की ढैय्या प्रारंभ हो जाएगी.

“शनि साढ़े साती” या “शनि की ढैय्या” की गणना चंद्र राशि के अनुसार अर्थात जन्म के समय जिस राशि में चंद्रमा होता है उससे वर्तमान में अर्थात गोचर में शनि की स्थिति के अनुसार होती है अर्थात जन्म कालिक चंद्र राशि से गोचर भ्रमण के दौरान शनि जब द्वादश भाव में आता है तो साढ़े साती का प्रारंभ हो जाता है और चंद्र राशि तथा चन्द्र राशि से दूसरे भाव में जबतक रहता है तब साढ़े साती बनी रहती है और जब तीसरी राशि में प्रवेश करता है तो साढ़े साती समाप्त हो जाती है इसी प्रकार जब गोचर का शनि चंद्र राशि से चौथी तथा आठवी राशि में आता है तब शनि की  ढैय्या प्रारंभ होती है.

Shani Dhaiya On Taurus/ शनि की ढैय्या का वृष राशि पर प्रभाव

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vrishabha  वृष : वृषभ राशि वालों के लिए शनि की ढैय्या प्राम्भ हो जाएगी . शनि अपने ढाई वर्ष के धनु राशि में गोचर के दौरान मूल नक्षत्र , पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र से  होकर गुजरेगा . इस शनि की तीसरी दृष्टि आपके दशम भाव पर कुम्भ राशि पर होगी , सप्तम दृष्टि दूसरे भाव मिथुन पर होगी और दशम दृष्टि पंचम भाव कन्या राशि पर होगी. इस पूरे ढाई वर्षों में शनि का प्रभाव एक जैसा नहीं रहेगा क्योंकि यह विभिन्न नक्षत्रों से होकर गुजरेगा . क्या होगा इसका प्रभाव नक्षत्रों के भ्रमण के अनुसार देखें .

जब यह केतु की नक्षत्र से होकर गुजरेगा अर्थात प्रथम दौर जो लगभग 13 महीनों का होगा तो जहाँ एक ओर यह अचानक और अधिक मात्रा में धन लाभ की स्थिति बनाएगा . कार्य – व्यापार में आपको निरंतर और निर्बाध प्रगति मिलेगी . आकस्मिक यात्रायें करनी पड़ सकती है वहीँ दूसरी ओर अचानक धटना –दुर्घटना का प्रबल योग बनाएगा . दवा और विवाद में धन खर्च होगा . व्यर्थ की मानसिक चिंतायें बढ़ेगी और दिन रात मानसिक अशांति का सामना करना पड़ेगा .

जब यह शनि वृषभ राशि में ही पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में आएगा तो अगले लगभग 13 महीनों तक बहुत अधिक परेशान करने वाली स्थिति उत्पन्न करेगा . इस दौरान व्यर्थ का भ्रमण होगा , अनैतिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी . हर दिन किसी ना किसी समस्या से जूझना पड़ेगा . खूब यात्रायें सम्बहवित हैं परन्तु अधिकांशतः निष्कर्ष हीन . इस समय आपके कार्य में परिवर्तन लगभग निश्चित है . एक बात अच्छी रहेगी इस दौरान कि आपके बहरी सम्बन्ध खूब बनेगे और इच्छा शक्ति तथा मानसिक स्थिति में दृढ़ता रहेगी .

जब यह उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आएगा तो अंतिम लगभग 4 महीने में शैक्षिक तथा संतान से सम्बंधित सुख या लाभ प्रदान करेगा . जो लोग इस दौरान संतति की इच्छा रखते हैं उनकी इच्छा पूरित होगी . यह शनि आपके किसी कार्य के कारण बहुत प्रसिद्धि भी देगा परन्तु इस दौरान यदि कोई मामला न्यायालय में है तो आपको दंड संभावित है . विवादों से बड़ी हानि हो सकती है अतः विवाद से दूर रहें . पारिवारिक तनाव भी बहुत अधिक हो सकता है और कुछ लोगों को परिवार से दूर जाना पड़ सकता है . फिर भी बाकी दोनों नक्षत्रों की अपेक्षा इस समय लाभ अधिक होगा .

Shani Dhaiya On Virgo/शनि की ढैय्या का कन्या राशि पर प्रभाव

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kanya   कन्या :  कन्या राशि वालों के लिए चतुर्थ भाव में शनि के आने से ढैय्या प्रारंभ होगी . शनि यहाँ से तीसरी दृष्टि आपके छठे भाव में स्वराशि कुम्भ पर , सातवीं दृष्टि दशम भाव में मिथुन राशि पर और दसम दृष्टि आपके लग्न पर डालेगा . पूर्व की भांति तीनों नक्षत्रों अर्थात मूल , पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में यह अपने ढाई वर्ष के गोचर के दौरान भ्रमण करेगा . शनि के इस भ्रमण का नक्षत्र गत परिणाम आपके उपर निम्न प्रकार से होगा –

मूल नक्षत्र गत शनि के गोचर से लगभग 13 महीनों तक हर प्रकार के सुखों में भारी कमी का अनुभव होगा . जमीन – मकान , वाहन , भौतिक सुख तथा पारिवारिक सुख अर्थात हर प्रकार से मानसिक कष्ट ही मिलेगा और यदि किसी भी प्रकार की संपत्ति में निवेश करते हैं तो हानि ही होगी . माता को और माता से कष्ट की अनुभूति होगी या वैचारिक मतभेद बनेगा . पिता से भी बहुत अच्छे सम्बन्ध नहीं होंगे इस दौरान . इस समय संतान के ऊपर बहुत व्यय होगा . कार्य – व्यापार में रोज – रोज किसी ना किसी समस्या से जूझना पड़ेगा .

पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में भ्रमण के दौरान शनि के कारण आपको अपने परिश्रम का लाभ नहीं मिलेगा . धन हानि संभव है . किसी भी कार्य में सफल होने के लिए बहुत अधिक प्रयास करना पड़ेगा और कार्यों के होने की या  परिणामों की गति बहुत धीमी होगी जिससे मन अशांत होगा . शत्रु तो परस्त होंगे परन्तु लगातार बनते भी रहेंगे . कोर्ट – कचहरी के मालों में संभल कर चलें . इस समय सार्वजानिक या राजनीतक क्षेत्र में कार्य करने वालों को बाहरी मामलों में सफलता मिलेगी परन्तु सिर्फ उन्हें ही जो वास्तव में कार्य कर रहे होंगे अन्यथा यह शनि अपमान की स्थिति भी उत्पन्न करेगा .

उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में भ्रमण के दौरान जो लगभग 4 महीनों की होगी और अंतिम होगी आपको यश – कीर्ति खूब मिलेगी . उच्च पद , मान – प्रतिष्ठा सब प्राप्त होगा . राजनैतिक और सामजिक क्षेत्र में कार्य करने वालों को खूब सम्मान मिलेगा . परन्तु रोग और शत्रु फिर भी पीछा नहीं छोड़ेंगे . ह्रदय रोगी और पेट के रोगियों को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ेगा .यदि आपकी आयु 38 वर्ष से कम है तो आपको अधिक कष्ट होगा .


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