त्रिपुष्कर योग : इस योग में संपन्न हुआ कोई भी शुभ कार्य या शुभाशुभ घटना कालान्तर में त्रिगणित अथवा तिगुनी हो जाती है. इस योग में बहुमूल्य वस्तुओं ( आभूषण, भूमि आदि) की खरीदारी शुभ मानी जाती है
द्विपुष्कर योग : इस योग में संपन्न हुआ कोई भी शुभ कार्य या शुभाशुभ घटना कालान्तर में द्विगणित अथवा दोगुना हो जाती है.
द्विपुष्कर योग2015 /Dwipushkar Yog 2015 |
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प्रारम्भ | समाप्त | प्रारम्भ | समाप्त | ||||
31 जनवरी | सूर्य उदय | 31 जनवरी | 4.35 | 30 मई | सूर्य उदय | 30 मई | 16.3 |
17 मार्च | 20.15 | 18 मार्च | 1.55 | 1 अगस्त | 13.08 | 2 अगस्त | 5.08 |
5 अप्रैल | 19.35 | 6 अप्रैल | 2.01 | 3 अक्टूबर | 15.19 | 4 अक्टूबर | 7.12 |
19 मई | 21.03 | 20 मई | सूर्य उदय |
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