राहु के बाद केतु ही एक मात्र दूषित ग्रह है जिसका प्रभाव अधिकतर नकारात्मक ही पड़ता है. तीसरे, दसवें ग्यारवें ओर बाहरवें घर का केतु केवल कुछ सकारात्मक परिणाम देता है.
उपर बताये गये सभी स्तिथियों के अलावा केतु किसी भी घर में क्यों न हो इसका प्रभाव नकारात्मक ही पड़ता है. पांचवें ओर आठवें घर में केतु का परिणाम बहुत ही भयानक होता है. जब जब केतु कि महादशा या अंतर दशा आती है इसके परिणाम और भी घातक हो जाते हैं . केतु बाधक बनता है शिक्षा क्षेत्र में, व्यावसायिक क्षेत्र में, संतान प्राप्ति में, वैवाहिक जीवन में इत्यादि. केतु भयानक दुर्घटनाओं का कारक भी है. अधिकतर घातक सड़क हादसे, सिर की चोट केतु के प्रभाव में ही होते हैं.
केतु के नकारात्मक परिणामों को कम करने का एकमात्र प्रभावी उपाय है वैदिक केतु शांति अनुष्ठान.
अनुष्ठान में सम्मिलित है:
वैदिक केतु शांति अनुष्ठान में शुभ महूर्त, दिशा, हवन समिधा का विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि केतु के नकारात्मक प्रभावों को अधिक से अधिक घटाया जा सके.
सभी प्रमुख कर्म काण्ड मेरी देख रेख में संपन्न होते है.
अनुष्ठान (एक दिवसीय) | 21090 मंत्र जप +हवन | Rs. 9100/- | Request Now |
अनुष्ठान (आठ दिवसीय) | 84360 मंत्र जप +हवन | Rs. 31000/- | Request Now |