नवरात्र पूजन में आदि शक्ति महामाया जगदम्बा की पूजा की जाती हैं |भक्तगण माँ की आराधना कर मन वांछित फल प्राप्त करते हैं. माँ की पूजा भक्तों को विश्वास और अडिगता के साथ कठिन से कठिन परिस्थियों में सदैव आगे बढ़ना सिखाती है तथा हमें जीवन में अपने पथ से भ्रष्ट हुए बिना पवित्रता और निष्कलंकित जीवन जीने की प्रेरणा देता है. माँ की आराधना करने वालों का अहंकार नष्ट होता है एवं उनको असीम शांति और वैभवता की प्राप्ति होती हैमाँ दुर्गा को मातृ शक्ति यानी करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है. अत: इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिग्पालों , दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों आमंत्रित होती हैं. “नवरात्र” शब्द का अर्थ नव की सख्या हैं | “ नवानां रात्रीणी समाहारं नवरात्रम “ नवरात्र में नौ दुर्गा को अलग-अलग दिन तिथि के अनुसार उनकी प्रिय वस्तुयें अर्पित करने का काफी महत्व हैं |
प्रथम दिन– उड़द, हल्दी |
द्वितीय दिन– तिल, शक्कर, चूड़ियाँ (लाल-पीली), गुलाब |
तृतीय दिन– खीर, काजल, लाल वस्त्र |
चतुर्थ दिन– दही, ऋतुफल, सिंदूर |
पंचम दिन– कमल-पुष्प, बिंदी |
षष्ठी दिन– चुनरी, पताका |
सप्तमी दिन– अड़हुल फूल, बताशा, ऋतुफल, इत्र |
अष्टमी दिन – पूड़ी, पीले रंग की मिठाई, कमलगटटा, लाल वस्त्र, चन्दन |
नवमी दिन – खीर, श्रृगार की सामग्री, साबूदाना, अक्षत, विविध (विभिन्न) फल |
श्रीमती साधना (Team Astrotips)