परीक्षा का समय नज़दीक आते ही विद्यार्थियों पर पढाई का दबाव बहुत बढ़ जाता है. जहाँ एक और अच्छे नम्बर से उत्तीर्ण होने की इच्छा वहीँ समय का सदुपयोग और अपने स्वस्थ्य का भी ख़याल रखना आवश्यक हो जाता है. परीक्षा का परिणाम विद्यार्थियों की पूरे वर्ष किये गये परिश्रम का फल होता है , जो उनके सम्पूर्ण जीवन पर प्रभाव डालता है. परन्तु शिक्षा के साथ साथ उनकी जीवन शैली और संस्कार उनके जीवन में बहुत प्रभाव डालते हैं .
प्राचीन काल में विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कई वर्षों तक गुरुकुल में अपने गुरु की ही देख रेख में रहा करते थे. गुरु अपने शिष्यों को न केवल शिक्षित करता था अपितु उन्हें संस्कारों कि दीक्षा भी दिया करते थे. गुरुकुल में विद्यार्थियों को खान पान , रहन- सहन के सही तौर तरीके सिखाये जाते थे. यह सभी बातें उन्हें अपने सम्पूर्ण जीवन काल तक स्मरण रहती थी और उनका अनुसरण करके वह अपने जीवन में उच्च आदर्शों का उदाहरण समूचे समाज के समक्ष रखते थे. आज भी हम अपने बच्चों से ऐसे हे आदर्श वयवहार और अपेक्षाएं रखते हैं. तो ऐसे में जब कि बच्चे परीक्षा देने कि तयारी कर रहे हों तो अभिभावकों को भी कुछ महतवपूर्ण बातों को अनदेखा नहीं करना चाहिए . अपने बच्चों की दिनचर्या में थोडा परिवर्तन कर के आप न केवल उनके परीक्षा के परिणाम में बल्कि उनके जीवन में भी सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं.
1. पढ़ने के लिए पूर्व दिशा का ही प्रयोग करे. पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है इस ओर मुख करके पड़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है.
2.सोते समय अपना सिर सदैव पूर्व दिशा की ओर रख कर ही सोए। ऐसा करने से नींद अच्छी आती है और सुबह उठने पर आप तरो ताज़ा महसूस करेंगे।
3. सुबह खाली पेट तुलसी का पत्ता मिश्री के साथ खाने से याददाश्त बढ़ती है।
4. रोज़ सुबह स्नान के बाद विद्या की देवी माँ सरस्वती के मंत्र “ॐ एम क्लींग सौम सरस्वतये नमः” का जप 21 बार अवश्य करें.
5. लाल धागे में पंचमुखी रुद्राक्ष गले में पहनने से लाभ अवश्य मिलेगा।
6. सादा, हल्का और सात्विक भोजन विद्यार्थियों के लिए अमृत समान है।
7. नियमित प्रणायाम और ओम चैटिंग एकाग्रता बढ़ाने में सहायक सिद्ध होंगे.
8. पढ़ने के स्थान को साफ़ और स्वच्छ रखें। study table पर किताबों के ढेर न रखें ।
9. कृष्णा पक्ष की अष्टमी से शुक्ल पक्ष की सप्तमी (जब चन्द्रमा कमज़ोर हो )तक बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव न डाले. अभिभावकों को ध्यान रहे की बच्चों पर अनावश्यक दबाव उनके कमज़ोर मनः स्तिथि पर दुष्प्रभाव डालता है.
10.तेज़ संगीत या किसी भी तरह की तेज़ आवाज़ पढ़ाई से ध्यान हटाने के लिए काफी है।
यह छोटे छोटे परिवर्तन हमारे और हमारे बच्चों के बेहतर जीवन की ओर उठने वाले सकारात्मक कदम हैं जिनका पालन केवल परीक्षा के समय ही नहीं अपितु अपने सम्पूर्ण जीवन काल में ही होना चाहिए.