लग्नस्थ मंगल जातक को तीक्ष्ण बुद्धि तथा तुरंत निर्णय लेने में सक्षम बनाता है. ऐसे जातकों में समस्या के तुरंत समाधान की अद्भुद क्षमता होती है. लग्नस्थ मंगल का जातक सामान्य से अधिक उत्साही, अधीर एवं साहसी होता है. मंगल बल और पराक्रम को बढाने वाला माना जाता है. ऐसे जातक आवेशित होकर कुछ भी कर बैठते हैं.
लग्नस्थ मंगल चकित्सकों के लिए वरदान होता है परन्तु वकीलों के लिए आर्थिक दृष्टिकोण से हानिकारक माना जाता है. लग्न में मंगल जातक को स्पष्टवादी बनाता है जिसके कारण दूसरों को वह कभी कभी आक्रामक जान पड़ता है. लग्न में बैठा मंगल जातक को स्वभाव से क्रोधी परन्तु मिलनसार बनाता है. अपने लक्ष्य के प्रति जातक बहुत जागरूक होता है तथा उसे पाने के लिए कठिन परिश्रम करने से भी नहीं डरता है.
लग्नस्थ मंगल जातक को आत्मविश्वासी एवं महत्वाकांक्षी बनता है. ऐसे जातक प्रतियोगिताओं या प्रतिस्पर्धाओं से नहीं घबराते अपितु उनमे अधिक रूचि रखते हैं. लग्नस्थ मंगल जातक का मन उद्विग्न रखता है. वह कानून या नियमों को तोड़ने में नहीं हिचकिचाता फलस्वरूप चोट या दुर्घटना का भय सदैव बना रहता है.
लग्नस्थ मंगल के जातकों को मांस पेशियों और रक्त सम्बन्धी रोगों से सावधान रहन चाहिए. प्रजनन सम्बन्धी रोग ज्वर , पीढ़ा तथा जलने कटने की घटनाएं इन जातकों के साथ यदा कदा होती रहती हैं. लग्नस्थ मंगल शिशुयों को दांत निकलते समय कष्ट देता है.
अग्नि तत्व राशी (मेष, सिंह, धनु ) में मंगल जातक को बहुत साहस एवं पराक्रम प्रदान करता है. धार्मिक कर्मकांड में इनकी विशेष रूचि नहीं होती परन्तु ऐसे जातक सत्य एवं न्याय के पक्षधर होते हैं. अग्नितत्व राशि का मंगल जातक को पुलिस या सेना सम्बन्धी कार्यों में सफलता देता है.
भू तत्व राशि (वृषभ, मकर, कन्या ) का मंगल दूषित होने पर जातक को क्रूर , कठोर अविवेकी एवं घमंडी बनता है. परन्तु यदि यही मंगल शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो तो जातक मिलनसार एवं सहानुभूति पूर्ण व्यवहार करता है.
वायु तत्व राशि (तुला, कुम्भ, मिथुन) का मंगल यदि दूषित हो तो जातक प्रणय संबंधों में असफल रहता है और अपने पर्यटन प्रेम के कारण एक स्थान से दुसरे स्थान पर भटकता रहता है.
जल तत्व राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन) का मंगल जातक को जलीय सेवाओं में कार्यरत करता है.