जन्म कुंडली में बुध की स्तिथि से शिक्षा, स्मृति, संचार कौशल, कैरियर, व्यवसाय, बुद्धि,लेखन आदि का ज्ञान होता है. नीच का बुध विपरीत परिणाम देने में सक्षम है जैसे शिक्षा में बाधा, मानसिक असंतुलन, संवादहीनता, कमज़ोर स्मरण शक्ति, व्यापार में घाटा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से सम्बंधित रोग .
लग्न कुंडली में दूषित शनि का प्रभाव बहुत ही नकारात्मक होता है. बुरे प्रभावों का परिणाम आय में कठिनाई, सदैव धन का अभाव, स्वास्थहानि, दुर्घटना और लड़ाई झगडा प्रमुख है. दूषित शनि जातक को कारागार तक पहुचने में सक्षम है. नीच का शनि या शनि की दशा अपने शत्रु लग्न में नकारात्मक प्रभाव देता है. उदाहरण के लिए मेष लग्न की कुंडली में छठवे ओर आठवे घर का शनि नकारात्मक प्रभाव देता है.
शनि ओर चंद्रमा की युति भी नकरात्मक परिणाम देती है . यह योग विष्कुम्भ योग कहलाता है. शनि ओर राहू की युति सदैव ही बुरा प्रभाव देती है.नीच का शनि या दूषित शनि के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए वैदिक शनि अनुष्ठान ही एकमात्र उपाय है.
शनि शांति अनुष्ठान में शनि मंत्र जप, स्तुति और यज्ञ किया जाता है. वैदिक शनि शांति अनुष्ठान में शुभ महूर्त, दिशा, हवन समिधा का विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि दूषित शनि के नकारात्मक प्रभावों को अधिक से अधिक घटाया जा सके.
सभी प्रमुख कर्म काण्ड मेरी देख रेख में संपन्न होते है.
अनुष्ठान (एक दिवसीय) | 25,530 मंत्र जप +हवन | Rs. 12,500/- | Request Now |
अनुष्ठान (आठ दिवसीय) | 1,02120 मंत्र जप +हवन | Rs. 41,000/- | Request Now |
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