कुंडली में सूर्य या चन्द्रमा का राहू या केतु के प्रभाव में आना ग्रहण दोष बनाता है.
कुंडली में इस तरह की युति जिस भी घर में बनती है वह घर दूषित हो जाता है, अर्थात उस घर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता
है. उदाहरण के लिए यदि राहु ओर चन्द्रमा की युति आठवें घर में हो तो जातक की आयु औरर स्वास्थ पर बहुत बुरा प्रभाव
देखने को मिलता है. इसी तरह की युति यदि सातवें घर में हो तो व्यवसाय में असफलताएं ही हाथ लगती हैं, स्वास्थ पर बुरा
प्रभाव और जीवन साथी से मतभेद बना रहता है.
ग्रहण दोष के नकारात्मक फल और उसके बुरे प्रभावों को कम करने के लिए वैदिक ग्रहण शांति
अनुष्ठान ही एकमात्र उपाय है.
वैदिक ग्रहण शांति अनुष्ठान में मंत्र जप (राहु/केतु/सूर्य/ चन्द्र जो भी प्रभावित हो)+ स्तुति+और यज्ञ किया जाता है.
वैदिक ग्रहण शांति अनुष्ठान में शुभ महूर्त, दिशा, हवन समिधा का विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि ग्रहण दोष के नकारात्मक
प्रभावों को अधिक से अधिक घटाया जा सके.
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