हरतालिका तीज व्रत
हरतालिका व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन रखते है। इस व्रत मे गौरी-शंकर की पूजा की जाती है। कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां यह व्रत रखती है। यह सौभाग्य को बढाने और कुवारी कन्याओं को मन पसंद पति प्राप्ति के लिए यह व्रत रखते है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र मे यह व्रत रखा जाता है। यह व्रत बहुत कठिन होता है, सम्पूर्ण दिन निर्जल व्रत रखा जाता है। रात मे महिलाए श्रृंगार करके रेत से बने शिव लिंग और गौरी-शंकर का पूजन करती है, रात मे पाच होम की आरती की जाती है, सारी महिलाएं रात भर जागरण कीर्तन करती हैं तथा शिव पार्वती विवाह की कथा सुनाई जाती है.
अगले दिन पूजन के पश्चात भोग लगाकर व्रत खोला जाता है।
हरितालिका व्रत पूजा विधि
हरतालिका तीज प्रदोष काल में किया जाता है। महाराष्ट्र में यह व्रत दिन के बारह बजे किया जाता है। हरतालिका पूजन मे भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बना के पूजा स्थल को फूलों पत्तियों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करते है। बाद में देवताओं का आह्वान करके भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें। सुहाग की सारी वस्तुएं माता पार्वती को चढ़ाना चाहिए इसमें शिव जी को धोती और जनेऊ चढ़ाया जाता है। पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाया जाता है और दही चावल हलवे का भोग लगाकर व्रत खोला जाता है।
दिव्यकांति लोकनार
AstroTips Team