रुद्राक्ष शिव का वरदान है, जो संसार के भौतिक दु:खों को दूर करने के लिए प्रभु शंकर ने प्रकट किया है। रुद्राक्ष सकारात्मक ऊर्जा के स्त्रोत हैं । इसका उपयोग आध्यात्मिक क्षेत्र में किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शंकर की आँखों के जलबिंदु से हुई है।शिव तप के समय क्षुब्ध हो उठे और उनके नेत्रों से जल की कुछ बूंद धरती पर गिरी उन्हीं से रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए और वे शिव की इच्छा से भक्तों के हित के लिए समग्र देश में फैल गए। उन वृक्षों पर जो फल लगे वे ही रुद्राक्ष हैं।
रूद्राक्ष के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक धारियां खिंची होती हैं। इन्हें मुख कहा जाता है। इन्हीं धारियों के आधार पर एकमुखी से इक्कीस मुखी तक रूद्राक्ष फलते हैं, जिनका अलग-अलग महत्व व उपयोगिता है।
जिस रूद्राक्ष में स्वयं छिद्र होता है, चाहे वह किसी भी मुख का हो, अपने गुण-धर्म के आधार पर श्रेष्ठ होता है। रुद्राक्ष धारण करने से कभी किसी प्रकार की कोई हानि नहीं होती है अत: हमारे धर्म एवं हमारी आस्था में रूद्राक्ष का स्थान रत्नों से भी उच्च है।वे पापनाशक, पुण्यवर्धक, रोगनाशक, सिद्धिदायक तथा भोग मोक्ष देने वाले हैं। रुद्राक्ष श्वेत, लाल, पीले तथा काले वर्ण वाले होते हैं।रुद्राक्ष जितना छोटा होता हैं। उतना प्रभावशाली होता हैं। जिसमे पिरोने योग्य छेद न हो, टूटा हो, जिसे कीड़े ने खा लिया हो वह रुद्राक्ष नहीं धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष पहनने का दिन: रूद्राक्ष सोमवार के दिन प्रात:काल शिव मन्दिर में बैठकर गंगाजल या कच्चे दूध में धो कर, लाल धागे में या सोने या चांदी के तार में पिरो कर धारण किया जा सकता है।
मुख |
स्वरुप |
फल |
1 | साक्षात शिव | सुख, शान्ति, मोक्ष |
2 | शिव और शक्ति | चन्द्रमा सी शीतलता |
3 | अग्नि और त्रिदेव | ऐश्वर्य की प्राप्ति एवं पाप का विनाश |
4 | ब्रह्म | जघन्य पापो का विनाश एवं धर्म , अर्थ,काम एवं मोक्ष की प्राप्ति |
5 | कालाग्नि रूद्र एवं पञ्च तत्व | पापों से मुक्ति एवं सुखों की प्राप्ति |
6 | कार्तिकेय | ब्रह्म हत्या पाप से मुक्ति एवं संतान प्राप्ति |
7 | महा लक्ष्मी | दरिद्रता का नाश एवं धनप्राप्ति |
8 | गणपति | राहु के अशुभ फलो से मुक्ति एवं मोक्ष की प्राप्ति |
9 | भैरव | केतु के अशुभ फलों एवं गर्भ हत्या से मुक्ति |
10 | भगवान विष्णु | शांति , सौंदर्य एवं अभय दान |
11 | भगवान हनुमान | भक्ति एवं ज्ञान |
12 | बारह आदित्य | अश्वमेघ यज्ञ समान फल |
13 | इंद्र देव | समस्त सुखों की प्राप्ति |
14 | भगवान हनुमान | समस्त पदो की प्राप्ति |
15 | पशुपति नाथ | समस्त पापों का विनाश |
16 | भगवान विष्णु एवं शिव | समस्त रोगो और भय से मुक्ति |
17 | भगवान राम एवं सीता माता | भूमि सुख एवं कुंडलिनी जागृति |
18 | भैरव एवं पृथ्वी माता | अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति |
19 | नारायण | सुख एवं समृद्धि |
20 | जनार्दन | भूत प्रेत के भय से मुक्ति |
21 | रूद्र | ब्रह्म हत्या जैसे पापों से मुक्ति |