विधुर अर्थात वह व्यक्ति जिसकी पत्नी की मृत्यु हो जाये और उसे अकेला रहना पड़े , विधुरों की स्थिति विधवाओं इतनी प्रताड़ना भरी तो नहीं होती परन्तु एकाकी अवश्य हो जाती है और इस जिन्दगी को अकेले व्यतीत करना किसी बड़े अभिशाप से कम नहीं . आइये देखते हैं ग्रहों की कौन सी ऐसी स्थितियां हैं जिनके कारण कोई व्यक्ति अकेला हो जाता है और उसे अपनी जीवन संगिनी के मृत्यु के दंश को झेलना पड़ता है .
विशेष : वैसे इस युति को ही अंतिम परिणाम ना माने क्योंकि विधुर योग को पूरी तरह से प्रभावित होने के लिए पत्नी की कुंडली में अल्पायु योग होना भी आवश्यक है और यदि उसकी कुंडली में पूर्ण आयु योग है तो यह निष्प्रभावी भी हो जाता है या दूसरे प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है परन्तु यदि वहां भी लग्नेश कमजोर है तो ये योग अत्यंत ही प्रभावी हो जाते हैं .
उपचार : यदि कुंडली में उपरोक्त योग बन रहे हों तो तुरंत ही सम्बंधित ग्रह की वैदिक शांति करायें और साथ ही अपने जीवन साथी के कुंडली की भी गंभीरता पूर्वक जाँच करायें और उसका भली भाँती उपचार करायें .. घटना से सावधानी बेहतर है .
ॐ नमः शिवाय !
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