आज के आधुनिक युग में भी विधवा होना एक अभिशाप है . लोग भौतिक रूप से चाहे जितना भी आधुनिक क्यों ना हो जायें मानसिक विपन्नता अभी तक कम नहीं हुई है . एक विधवा स्त्री को जीवन में सिर्फ अपने जीवन साथी के कमी को ही नहीं झेलना पड़ता बल्कि उसे सामाजिक उपेक्षाओं का भी शिकार होना पड़ता है . आइये देखते हैं कैसे बनता है यह योग . ग्रहों की कौन सी स्थिति ऐसी होती है जो किसी स्त्री को विधवा बना सकती है
विशेष : वैसे इस युति को ही अंतिम परिणाम ना माने क्योंकि वैधव्य योग को पूरी तरह से प्रभावित होने के लिए पति की कुंडली में अल्पायु योग होना भी आवश्यक है और यदि उसकी कुंडली में पूर्ण आयु योग है तो यह निष्प्रभावी भी हो जाता है या दूसरे प्रकार के कष्टों का सामना करना पड़ता है परन्तु यदि वहां भी लग्नेश कमजोर है तो ये योग अत्यंत ही प्रभावी हो जाते हैं .
उपचार : यदि कुंडली में उपरोक्त योग बन रहे हों तो तुरंत ही सम्बंधित ग्रह की वैदिक शांति करायें और साथ ही अपने जीवन साथी के कुंडली की भी गंभीरता पूर्वक जाँच करायें और उसका भली भाँती उपचार करायें .. घटना से सावधानी बेहतर है .
शुभम भवतु !
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे <View Profile>
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