Shukra Shanti Ke Upay /शुक्र शांति के उपाय
- “श्री यंत्र“पूजन नित्य करें.
- श्री सूक्त या “लक्ष्मी स्त्रोत” व् “कनक धारा स्त्रोत“का पाठ करें .
- नित्य एक मुटठी ताजे चावल सूर्योदय से पहले बनवाकर घी शक्कर डाल कर सूर्योदय से पहलेगौ को दे /गौ पालतू न हो ! सफेद व काली हो तो श्रेष्ठ ! ऐसा रोज करें .
- ज्योतिषीय परामर्श अनुसार शुक्र के रत्न (“ओपल/हीरा)” धारण करें .
- मंदिर मे हर शुक्र को सफेद वस्तु , दूध ,दही ,चावल या शक्कर का दान करें .
- शुक्र की अनिष्टता के परिहारार्थ दूध , जवारी का दान सतत करते रहें . भोजन के पूर्व थालीमें परोसी सभी चीजें थोड़ी –थोड़ी निकाल कर सफेद गाय या सफेद बैल को खिलाएं .
- गोमूत्र का सेवन करें .
- सप्तधान्य इकट्ठा करके पंछियों को खिलाएं .
- अनिष्ट शुक्र द्रितीय स्थान में और बृहस्पति 8 ,9 ,या 10 में किसी स्थान में हो तो जातक का वैवाहिक जीवन कलहपूर्ण रहता है !जातक जीवन-भर दु:खी रहता है . जातक को गुप्त रोग एवं शीघ्र वीर्य पतन के विकार होते हैं ! यह अनिष्टता दूर करने के लिए प्रवाल भस्म का सेवन करें.
- अनिष्ट शुक्र पंचम स्थान में हो एवं राहु लग्न में या सप्तम स्थान में हो तो जातक कामातुर रहता है.उसकी संतान आज्ञाकारी नहीं रहती है ! चोरी का डर रहता है. इस अनिष्टता के निवारण केलिए गाय की सेवा करें . स्वयं का चरित्र शुद्ध रखें. जातक स्त्री या पुरुष दोनों ही दही-दूध से अपने गुप्तांग स्वच्छ करें !इससे आय में बढ़ोत्तरी होकर जीवन सौभाग्यशाली बनेगा.
- नवम स्थान में शुक्र के साथ चंद्र व् मंगल हों तो गृह निर्माण के समयएक छोटे से मिटटी के पात्र में शहद भरकर यह मधुघट मकान की नींव में गाड़ दें .
- बारहवेंस्थान में शुक्र पत्नी के लिए अनिष्टकर होता है .इस अनिष्टता को दूर करने के लिए नीले या बैंगनी रंग के कुछ फूल संध्या समय जंगल में गाड़ दें .
- बारहवें स्थान में शुक्र एवं 2,6,7,12,में से किसी एक स्थान में राहु होने पर जातक की उम्र के 25 वें साल स्थिति कष्टकारक रहती है . इस अनिष्टता को दूर करने के लिये काली गाय या भैस पालें या उनकी सेवा करें .
- चांदी , चावल ,चित्र –विचित्र रंग के वस्त्र , बछड़े सहित गाय , हीरा इसमें से जो संभव हो उसका दान करें.
- वाघाटी की जड़ तावीज में धारण करें .
- हर शुक्रवार को सफेद शीशा पानी में डालकर स्नान करें .
- शुक्र के अत्यधिक दूषित या निर्बल होने पर ब्राह्मणों द्वारा “शुक्र शांति” व् “बाधक ग्रह शांति का वैदिक अनुष्ठान“कराएं.
दूषित शुक्र के लक्षण और उससे जनित रोग
- शौक़ीन मिजाज़
- लापरवाह
- विलासी, कामातुर
- अधैर्यशील
- दाम्पत्य जीवन में कडवाहट
- नेत्र रोग
- गुप्त रोगों का शिकार
- शुक्राणु में कमी
बिना ज्योतिषी के परामर्श प्रयोग करने से लाभ की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता हैं ग्रहों की स्थितिनुसार ही उपचार करना श्रेष्यकर है |