माँ भगवती का द्वितीय स्वरुप
माँ दुर्गा के स्वरुप माँ ब्रहाम्चारिणी में माँ ने भगवान् शिव को पति रूप में पाने के लिए घोर तपस्या की थी इसीलिए इन्हें तपश्चारिणी के नाम से भी जाना जाता है. ब्रहमचारिणी मां दुर्गा को द्वितीय शक्ति स्वरूप है। मां श्वेत वस्त्र पहने दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बांए हाथ में कमण्डल लिए हुए सुशोभित है। माँ के इस स्वरुप का पूजन करने से भक्तों में आलस्य , लोभ , स्वार्थ, अहंकार एवं असत्य जैसी दुष्प्रवृत्तियों का नाश होता है. माँ ब्रहम चारिणी की पूजा भक्तों को विश्वास और अडिगता के साथ कठिन से कठिन परिस्थियों में सदैव आगे बढ़ना सिखाती है. माँ का यह स्वरुप हमें जीवन में अपने पथ से भ्रष्ट हुए बिना पवित्रता और निष्कलंकित जीवन जीने की प्रेरणा देता है.
दुसरे नवरात्र के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद
माँ ब्रहम चारिणी की पूजा में आप मटमैले रंग के वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं यह दिन “राहु शांति पूजा के लिए” सर्वोत्तम दिन है.
दूसरे नवरात्र के दिन माँ ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाएँ.इससे आयु वृद्धि होती है।
वन्दे वांछित लाभाय चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
जपमाला कमण्डलु धरा ब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।
ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।
शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥
त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।
अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥
पंचदशी कण्ठे पातु मध्यदेशे पातु महेश्वरी॥
षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।
अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।
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नवरात्रों में किसी भी प्रकार के अनुष्ठान और पूजा का महत्व और परिणाम कई गुना अधिक बढ़ जाता है . नवरात्र के दौरान आप माँ भगवती के पूजन और दुर्गा सप्तसती के पाठ के अलावा निम्नलिखित ज्योतिषीय उपचार भी करा सकते है
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जय माता दी !
पं. दीपक दूबे