चतुर्थी तिथि आरम्भ : 27 अक्टूबर, 06:37 PM
चतुर्थी तिथि समाप्त : 28 अक्टूबर, 04:54
पूर्व में अगस्त्य नाम के ऋषि थे वे समुद्र के किनारे कठोर व्रत कर रहे थे , वहाँ से कुछ दूरी पर एक पक्षी अपने अंडो को से रहा था . उसी समय समुद्र में तूफान सी लहरे उठने लगी पानी चढ़ने लगा और पानी अपने साथ अंडो को बहा ले गया , पक्षी बहुत दू:खी हुआ और उसने प्रतिज्ञा की कि –“मैं समुद्र के जल को समाप्त कर दूंगी और अपने चोंच में सागर के जल को भर भर कर फेंकने लगी ऐसा करते करते उसे काफी समय बित गया समुद्र का जल घटा ही नही.
वह दू:खी मन से अगस्त्य मुनि के पास गई और अपनी व्यथा सुना समुद्र को सुखाने की प्रार्थना की .अगस्त्य मुनि को चिन्ता हुई कि मैं कैसे समुद्र के जल को पी कर सुखा सकूंगा , तब अगस्त्य मुनि ने गणेश जी का स्मरण किया और संकटा चतुर्थी व्रत को पूरा किया . तीन मास व्रत करने से गणेश जी प्रसन्न हो गए और मुनि का मार्ग प्रशस्त किया चौथ व्रत की कृपा से अगस्त्य मुनि ने प्रेम से समुद्र को पी कर सुखा दिया और पक्षी की प्रतिज्ञा को पूरा किया .इसी व्रत के प्रभाव से अर्जुन ने निवात-कवचादि शत्रुओं पर विजय प्राप्त की .
व्रत का फल: कार्तिक संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत करने से से हजार अश्वमेघ यज्ञों का फल प्राप्त होता है और पुत्र सुख की प्राप्ति होती हैं .
आश्विन संकष्टी गणेश चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी तिथि 2016 मार्गशीर्ष संकष्टी गणेश चतुर्थी