लग्न स्वामी : बुध
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लग्न तत्व: वायु
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लग्न चिन्ह : स्त्री पुरुष जोड़ा
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लग्न स्वरुप: द्विस्वभाव
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लग्न स्वभाव: क्रूर
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लग्न उदय: पश्चिम
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लग्न प्रकृति: त्रिधातु प्रकृति
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जीवन रत्न: पन्ना
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अराध्य: गणपति
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लग्न धातु:
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अनुकूल रंग:हरा, सफ़ेद
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लग्न जाति: शूद्र
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शुभ दिन: बुधवार
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शुभ अंक: 5
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जातक विशेषता: चतुर, निडर
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मित्र लग्न : मेष, तुला, कुम्भ
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शत्रु लग्न : कर्क
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लग्न लिंग: पुरुष (कुमार)
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मिथुन बुध की स्वराशी है तथा बुध वाणी एवं बुद्धि का कारक माना गया है अतः मिथुन लग्न में जन्मे जातकों का बुद्धिमान एवं वाक्पटु होना स्वाभाविक माना गया है. ऐसे जातक अधिक बात करने वाले एवं लच्छेदार भाषण देने में पटु होते हैं.
अपनी इन्ही विशेषताओं के कारण मिथुन लग्न के पुरुष स्त्रियों के विशेष आकर्षण का केंद्र होते हैं. सेक्स के प्रति विशेष रुझान के कारण आप स्त्रियों को संतुष्ट करने में सक्षम होते हैं . दुसरे के हाव भाव को ताड़ने में आपकी विशेष रूचि होती है. मिथुन लग्न के जातकों को अपनी इन्द्रियों पर वश करने की क्षमता होती है. अत्यधिक धन समपन्न मिथुन लग्न के जातक भोगी एवं अपने भाई बहनों से प्रेम करने वाले होते हैं. आप स्वभाव से दयालु तथा आत्मिक उन्नत्तिशील होते हैं.
मिथुन लग्न के जातकों का कद सामान्य से कुछ ऊँचा ही होता है. शारीर से भरी तो नहीं परन्तु दुबले भी नहीं कहे जा सकते हैं. चेहरे खिला एवं भरा हुआ होता है. केश काले परन्तु पतले होते हैं. मिथुन लग्न के जातक अक्सर आगे की ओर झुककर चलते हैं.
द्विस्वभाव होने के कारण मिथुन राशि के जातक किसी भी कार्य को जल्दबाजी में नहीं करते बल्कि बहुत ही सोच समझ कर कदम रखते हैं. जीवन में एकाएक किसी पर विशवास करना आपके लिए कठिन होता है परन्तु एक बार विश्वास बन जाने पर आप जीवन भर सम्बन्ध निभाने में विश्वास करते हैं. संगत का प्रभाव आप पर अधिक होता है तथा किसी से भी बहुत जल्दी आकर्षित एवं प्रभावित आप हो जाते हैं फिर भी मित्रों की संख्या कम ही रहती है. किसी के कार्यों में हसक्षेप करने की आदत आप में नहीं होती साथ ही दुसरो के सुख दुःख में भी आपकी उपस्तिथि कमतर ही रहती है.
ज्ञान एवं विद्या अर्जन करने में विशेष रूचि होने के कारण साहित्य के प्रति मिथुन लग्न के जातकों का विशेष झुकाव होता है. फलतः ये साहित्यकार एवं कवी भी होते हैं. आप कभी भी किसी एक कार्य से संतुष्ट नहीं होते इसलिए एकसाथ कई कार्य प्रारंभ करने में सदैव रूचि बनी रहती है. अनेक प्रकार के कार्यों को एक ही समय करने के कारण आपके सभी कार्यों में देरी हो जाती है तथा परिश्रम के अनुरूप फल भी प्राप्त नहीं होता है. इन्ही सब कारणों से मिथुन लग्न के जातकों को कभी कभी हीन भावना से ग्रसित भी देखा गया है.
आपमें परिश्रम करने की क्षमता होती है परन्तु अस्थिर बुद्धि के कारण आप किसी एक कार्य में आपको विशेष दक्षता प्राप्त नहीं होती है. बौधिक स्तर ऊँचा होने के कारण आप को सफलता धीमी किन्तु अवश्य मिलती है.
धार्मिक रूप से भी आप संतुलित ही रहते हैं. न तो बहुत अधित धार्मिक होते हैं और न ही अधार्मिक. .
सावधानी: पुखराज रत्न कभी भी धारण नहीं करना चाहिए.