कभी भी दोनों हाथो से आपको अपना सिर नहीं खुजाना चाहियें |
बिना किसी कारण के तिनको को तोडना और मिट्टी के ढेले को फोड़ना नहीं चाहियें |
कभी भी दांतो से नाखूनों और बालो को नहीं चबाना चाहियें |
आसान को पैर से खींचकर नहीं बैठना चाहियें |
कभी भी नाखूनों को नाखूनों से को ना काटे |
उस व्यक्ति का बुरा होता होता है जो दूसरों की निंदा करता है और अशुद्ध रहता है |
कभी भी पैर से पैर नहीं धोने चाहियें |
कभी भी कांसे के बर्तन का प्रयोग कुल्ला करने के लिए और पैर धोने के लिए ना करे |
दांतो से दांतो से को नहीं रगड़ना चाहियें |
सिर हाथ पैर को हिलाना नहीं चाहियें |
पैर के ऊपर पैर रखे और पैर को पैर से ना दबाएं |
सिर के बालो को खींचना और सिर पर चोट करना मना है |
कुछ विशेष कार्य जैसे भोजन , स्नान , जप , पूजा, होम , पितृतर्पण इत्यादि करते समय शरीर को अकड़ कर नहीं बैठना चाहियें |
मनुष्य को मल, मूत्र , डकार , अपानवायु , वमन , छींक , जम्हाई , भूख , प्यास , आंसू , निद्रा , शुक्र और तेज साँसों को नहीं रोकना चाहियें | ऐसा करने से शरीर में कई रोग उत्पन्न होते होते है |
भोजन ,पूजा ,किसी शुभ कार्य और जप के दौरान या फिर किसी श्रेष्ठ व्यक्ति के सामने छींकना या थूकना नहीं चाहियें |
जहां जनसमूह एकत्रित हो वहां भोजन के लिए समय से पहुंचे .
किसी शुभ कार्य के दौरान मुख या नाक से कफ का त्याग नहीं करना चाहिए |
बहुत जोरो से ना हँसे |
यदि आप किसी सभा में उपस्थित है तो मुख को ढंके बिना जम्हाई , खांसी , डकार और छींके ना |
बिना किसी कारण के थूकना वर्जित है |
कभी भी अपने गुरु , देवता और अग्नि के सामने पैर फैलाकर नहीं बैठना चाहियें |