किसी भी जातक की जन्म कुंडली में बलारिष्ट योग का होना उसकी अल्पायु दर्शाता है. ऐसे अरिष्ट योग होने के कारण बालक बारह वर्ष की आयु तक बहुत ही कष्टमय जीवन बिताता है या उसकी आयु ही बारह वर्ष तक सीमित हो जाती है. बलारिष्ट योग केवल बालक के लिए हे नहीं अपितु उसके माता पिता के लिया भी कष्टकारी होता है.
बलारिष्ट योग जातक की कुंडली में कई कारणों से हो सकता है, लग्नेश का अत्यंत पीड़ित होना, लग्नेश पर मारकेश ग्रह का प्रभाव, कुंडली में प्रेत बाधा , भयानक पितृ दोष. इस कारण से कुंडली देखकर हे समस्या के अनुरूप समाधान कराना श्रेयस्कर होगा . बलारिष्ट योग के निवारण हेतु कई प्रकार की शांति का प्रयोग किया जाता है.
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