" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Budh Shanti Ke Upay/ बुध शांति के उपाय

  1. अनिष्ट बुध शांति की उत्तम उपाय में नित्य “विष्णु-सहस्त्रनाम” का पाठ करें |
  2. नित्य भगवान शालिग्राम का पूजन करें, तुलसी दलपत्र अवश्य अर्पित करें व बुध-मंत्र का जप करें, प्रसाद रूप में उस तुलसी के पत्ते को ग्रहण करें, ऐसा करने से चमत्कारी लाभ होगा |
  3. पुरुष-सूक्त के द्वारा  भगवान विष्णु की षोडशोपचार पूजा करने से बुध कृत  समस्त अरिष्ट शांत होतें हैं | इस पूजन से सन्तान कष्ट, गर्भ-दोष, वाणी एवं मानसिक कष्ट दूर हो जाते हैं | सुख शांति की वृद्दि होती हैं |
  4. व्यापारिक अडचनों एवं सन्तान कष्ट में “गोपालसह्स्त्रनाम” एवं कृष्ण पूजा अमोघ हैं |
  5. शत्रु बाधा एवं अभिचार कर्मो के शमन के लिए प्रत्यंगिरा जप तथा हवन अमोघ हैं |
  6. शारिरिक व्याधियों के लिए “महाधनवंतरी मंत्र” एवं “मृत्युंजय मंत्र” का प्रयोग अमोघ हैं |
  7.  बुध स्थान को मजबूत करने हेतु व धनप्राप्ति हेतु पन्ना युक्त बुध यन्त्र  धारण करना चाहिए |
  8. सवा रत्ती स्वर्ण का दान भी किया जाता हैं, बुधवार के दिन
  9. ग्यारह एकादशी को व्रत व ग्यारह बुधवार व्रत व मुट्ठीभर खड़ी मूंग भिखारियों को दान करना |
  10. ग्यारह बुधवार, ब्राह्मण को दूध दान में देना व  बुध  स्त्रोत का पाठ करना |
  11. गणपति जी के दर्शन तथा व्रत रहना |
  12. घर में इलेक्ट्रानिक वस्तुओ का चालू हालत में रखना |
  13. पन्ना धारण करना पन्ने के अभाव में कली (धातु)धारण करना |
  14. जीवो की सेवा करना |
  15. लड़की, बहन, बुआ, साली, जैसे रिश्तेदार की हार प्रकार से सेवा करना व आशीर्वाद लेना |
  16. धार्मिक ग्रंथो को बंद कर ना रखें  इनका इस्तेमाल करते रहें |
  17. उपरोक्त उपायों को ज्योतिषी परामर्श से करें इनकी सख्यां 5, 11 या 43 दिन, सप्ताह या माह लगातार करने चाहिए.

बुध गायत्री

ॐ सौम्यरुपाय विदमहे बाणेशाय धीमहि तन्नो बुद्द: प्रचोदयात ||

बुध जनित रोग के लक्षण बुध ग्रह के प्रभाव से हिस्टीरिया, पागलपन, मानसिक विकृतियाँ, कान के रोग, बहरापन, पक्षाघात, पेट के घाव (अल्सर), स्मरण शक्ति का हास, हकलाना, सिरदर्द, अनिद्रा, मूर्छावस्था के दौरे, फेफड़ो में कष्ट, हृदयादी रोग होते हैं |

  • उपचार-  बुध यन्त्र  को बुधवार अश्लेषा, ज्येष्ठा, रेवती नक्षत्र के दिन अष्टगंध से अनार की कलम से भोजपत्र पर लिखा कर प्राणप्रतिष्ठा कर पूजन कर धारण करें .
  • विधारा की जड़ बुधवार  को हरे रंग की डोर में लपेट कर उसे मंत्र से अभिमंत्रित कर बाँधने  से बुध  के कारण उत्पन्न बाधा की शांति होती हैं |
  • मूंग, खांड, हरा वस्त्र, पन्ना, स्वर्ण, फल, कर्पूर, घी का दान करनें से बाधा की शांति मिलाती हैं |
  • आराधना- श्री गणेश की उपासना करें |
  • कठिन परिस्तिथियों में वैदिक बुध शांति अनुष्ठान” ही लाभदायक होता है.

बिना ज्योतिषी के परामर्श प्रयोग करने से लाभ की जगह नुकसानदायक साबित हो सकता हैं ग्रहों की स्थितिनुसार ही करना श्रेष्यकर है |


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