Dwipushkar Yog 2016/द्विपुष्कर योग 2016
Dwipushkar Yog 2017/द्विपुष्कर योग 2017
Dwipushkar Yog 2018/द्विपुष्कर योग 2018
भद्रा तिथियां अर्थात् द्वितीया, सप्तमी या दशमी तिथियां में से ही कोई तिथि रविवार या मंगलवार या शनिवार को पड़े तथा उस दिन चन्द्रमा विशिष्ट नक्षत्र में हो तभी चन्द्रनक्षत्रानुसार “द्विपुष्कर” अथवा “त्रिपुष्कर योग”होगा.
धनिष्ठा, चित्रा या मृगशिरा नक्षत्र में चन्द्रमा हो, तो “द्विपुष्कर” योग होगा तथा कृतिका, पुनर्वसु, विशाखा, उतराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा या उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में चन्द्रमा हो तो “त्रिपुरष्कार योग” होगा।
शास्त्रों के अनुसार “द्विपुष्कर योग” में जो शुभ कार्य प्रारम्भ होता है तो उसकी पुनरावृत्ति होती है या यूँ कहें कि इस योग में संपन्न हुआ कोई भी शुभ कार्य या शुभाशुभ घटना कालान्तर में द्विगणित अथवा दोगुना हो जाती है.
अतः इस दिन शुभ कार्य ही करने चाहिए, जैसे सम्पत्ति का क्रय , धन का विनियोग या किसी भी नए शुभ कार्य का प्रारम्भ आदि । श्राद्धादि जैसे अशुभ कार्य कभी भी द्विपुष्कर योग में नहीं करनी चाहिए किसी की मृत्यु द्विपुष्कर या त्रिपुष्कर की अंत्योष्टि क्रिया तथा उसके प्रमुख श्राद्ध कर्म को “द्विपुष्कर” या “त्रिपुष्कर योग” में नहीं करना चाहिए।
Om Namah Shivay
Pt. Deepak Dubey