5 Oct 2018
हिन्दू धर्म के अनुसार प्रत्येक चंद्र मास में दो एकादशिया आती हैं। इस तरह साल भर में 24 एकादशियां आती है अधिक मास की भी दो एकादशियों को मिलाकर इनकी संख्या 26 हो जाती है। प्रत्येक एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार हर एकादशी का अलग ही महत्व है साथ ही प्रत्येक एकादशी के लिए अलग कथा भी होती है। एकादशियों को असल में मोक्षदायिनी माना जाता है। लेकिन कुछ एकादशियां बहुत ही खास मानी जाती है। इन्हीं खास एकादशियों में से एक है ‘इंदिरा एकादशी’।
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अर्थात पितृपक्ष में पड़ने वाली एकादशी को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इंदिरा एकादशी का महत्व बहुत अधिक है. इससे पापों का नाश तो होता ही है, साथ ही पूर्वजों को भी मुक्ति मिलती है. इससे मन और शरीर दोनों ही संतुलित रहते हैं. इस समय एकादशी के उपवास से गंभीर रोगों से रक्षा होती है. इस दिन व्रत रखने और पूजा-पाठ करने से पितृों की आत्मा तृप्त होती है और व्यक्ति को हर तरह के कष्ट से मुक्ति मिलती है.
महत्व: मान्यता है कि यदि कोई पूर्वज़ जाने-अंजाने हुए अपने पाप कर्मों के कारण यमराज के पास अपने कर्मों का दंड भोग रहे हैं तो इस एकादशी पर जातक विधिपूर्वक व्रत कर इसके पुण्य को अपने पूर्वजों को दान कर सकते हैं ऐसा करने से जातक के पूर्वजों को मोक्ष मिल जाता है और मृत्युपर्यंत व्रती भी बैकुण्ठ में निवास करता है।
पूजन विधि
– इस दिन प्रात: उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें, तत्पश्चात भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरुप की आराधना करें.
– उनको पीले फूल, पंचामृत तथा तुलसी दल अर्पित करें.
– इसके बाद भगवान का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें.
– इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें. अगर फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे.
– इस दिन फलाहार का दान करें और गाय को भी फल आदि खिलाएं.
– अगले दिन प्रात: निर्धन लोगों को भोजन कराएं, वस्त्र आदि का दान करें.
– फिर स्वयं भोजन करके व्रत का समापन करें.
– इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं, क्रोध न करें, झूठ न बोलें.
पितरों के लिए इस दिन क्या करें?
– जब कभी श्राद्ध, श्रद्धा से न करके दबाव से किया जाता है या अयोग्य व्यक्ति के द्वारा श्राद्ध होता है तो श्राद्ध के बावजूद भी मुक्ति नहीं होती है.
– पितृ पक्ष की एकादशी के दिन महाप्रयोग करके इस समस्या का निदान किया जा सकता है.
– एकादशी के दिन उड़द की दाल, उड़द के बड़े और पूरियां बनाएं और चावल का प्रयोग न करें.
– भगवद्गीता का पाठ करें.
– निर्धनों को भोजन कराएं और उनसे आशीर्वाद लें.
इंदिरा एकादशी के दिन पितरों की आत्मा की शांति के उपाए
– इसके लिए भगवान को फल और तुलसी दल अर्पित करें.
– भगवान के समक्ष भगवदगीता का पाठ करें.
– निर्धनों को फल का दान करें.
– एक तुलसी का पौधा जरूर लगाएं.
– किसी सार्वजनिक स्थान पर पीपल का पौधा लगा दें.
पं धीरेन्द्र नाथ दीक्षित
Astrotips Team