" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

लग्न में सूर्य का प्रभाव 

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लग्न में सूर्य की स्थिति सौभाग्य एवं प्रगति का प्रतीक  है. मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृषभ और मिथुन में लग्नस्थ सूर्य जातक को अहंकारी, स्वार्थी तथा सत्ता लोभी बनाता है तथा कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक तथा धनु में लग्नस्थ सूर्य जातक को गुणी, विनम्र, दयालु तथा बुद्धिमान बनाता है.

लग्न में सूर्य जातक को लम्बा कद और दुबली पतली देह सुंदर एवं स्वस्थ बनता है .  दृढ स्वभाव, धैर्यशीलता, स्वाभिमान, उदार व् महत्वाकांक्षी भी लग्नस्थ सूर्य ही बनाता .

लग्न में सूर्य होने से जातक का जीवन सूर्य के समान उन्नति करता है. बाल्यकाल में जितना सुख मिलता है उससे कहीं अधिक सुख युवावस्था या प्रौढ़ावस्था में भोगता है.

लग्नस्थ सूर्य प्रबल इच्छा शक्ति देता है. आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुण भी लग्न में बैठे सूर्य के परिचायक हैं, इसी कारण जिनके लग्न में सूर्य हो वह अपने अधिकारों के प्रति बहुत सजग होते हैं और अपने अधिकारों का हनन उनको बर्दाश्त नहीं होता है. कभी कभी अपने और अपने लक्ष्यों के प्रति सजगता इतनी हावी हो जाती है कि वह दूसरों के प्रति लापरवाह हो जाते हैं.

लगन्स्थ सूर्य सिर में रोग या चोट का खतरा देता है. नेत्र रोग और पित्त रोग का खतरा भी बना रहता है.

लग्न में सूर्य कभी कभी जातक को विदेशी सम्बन्ध या विदेश जाकर धन कमाने की स्थितियां पैदा करता है.

लग्नस्थ सूर्य जातक को असंतोषी भी बनता है परन्तु दूसरों को उत्साहित करने की क्षमता ऐसे जातकों में बहुत अच्छी होती है.

पारिवारिक सम्बन्ध सामान्य रहता है. अपितु जीवन साथी से कलेश या दुःख मिलता है.

मेष , मिथुन, कर्क, सिंह, तुला, मकर, कुम्भ तथा मीन राशि का सूर्य लग्न में होने से जातक मंच कलाकार , अभिनेता , कुशल नाटककार होता है.

धनु, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि का लग्नस्थ सूर्य जातक को विद्वान् एवं गुणी बनाता है.

कर्क लग्न में लग्नस्थ सूर्य जातक को अपने परिवार से बहुत प्रेम करने वाल बनाती है.  वृश्चिक लग्न में लग्नस्थ सूर्य जातक को कुशल चिकित्सक बनाता है.

उच्च राशी स्थित सूर्य या शुभ ग्रह की दृष्टि युक्त लग्नस्थ  सूर्य जातक को नैतिकतावादी, श्रद्धा एवं विशवास पात्र बनाती है. सामाजिक पद प्रतिष्ठा एवं सम्मान की स्थिति भी बनती है.

अग्नि तत्व राशि (मेष, सिंह, धनु ) के लग्नस्थ सूर्य के लक्षण

रोग: बाल्यावस्था में चेचक और खसरा रोग देता है.

स्वभाव : जातक शांत और विनम्र दिखाई पड़ता है परन्तु सूर्य अग्नितत्व क्रूर गृह होने के कारण जातक महत्वाकांक्षी , सत्ता लोभी, क्रोधी , हठी तथा कभी कभी आक्रामक भी हो जाता है.

भूतत्व तत्व राशि (वृषभ, मकर, कन्या ) के लग्नस्थ सूर्य के लक्षण

रोग: नेत्र रोग देता है.

स्वभाव : जातक उद्दंड , मनमानी करने वाला तथा प्रतिष्ठित लोगों को उचित सम्मान न देने वाला परन्तु अपनी धुन का पक्का एवं परिश्रमी होता है.

वायु तत्व राशि (तुला, कुम्भ, मिथुन) के लग्नस्थ सूर्य के लक्षण

रोग: ज्वर की संभावना अधिक रहती है.

स्वभाव : जातक न्यायप्रिय , उदार , कला व् साहित्य प्रेमी होता है.

जल तत्व राशि (कर्क, वृश्चिक, मीन  ) के लग्नस्थ सूर्य के लक्षण

रोग: ह्रदय रोग, रक्त सम्बन्धी विकार , खांसी तथा ज्वर की संभावना अधिक रहती है.

स्वभाव : जातक सुंदर स्त्रियों के प्रति आकर्षित रहता है.


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