माँ भगवती का प्रथम स्वरुप
“नवरात्र पूजन विधि” के लिए क्लिक करें/Click here for “Navratri Poojan Vidhi“
नवरात्र का पहला दिन माँ भगवती के प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री को समर्पित है. माँ शैलपुत्री पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं इसलिए इन्हें पार्वती एवं हेमवती के नाम से भी जाना जाता है. माँ शैलपुत्री का वाहन वृषभ है, इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल एवं बाएं हाथ में कमल पुष्प है. भक्तगण माँ शैलपुत्री की आराधना कर मन वांछित फल प्राप्त करते हैं. माँ दुर्गा को मातृ शक्ति यानी करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है. अत: इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिग्पालों , दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों आमंत्रित होती हैं. कलश स्थापना के समय इन सभी का आह्वाहन किया जाता है और विराजने के लिए प्रार्थना की जाती है . माँ शैलपुत्री कि आराधना से मूलाधार चक्र जागृत होता है, यहीं से योग साधना का आरम्भ भी माना जाता है.
कलश में सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी और मुद्रा सादर भेट की जाती है. पांच पल्लवों से कलश को सुशोभित किया जाता है. इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं और दशमी तिथि को इन्हें काटा जाता है.
प्रथम नवरात्र के वस्त्रों का रंग एवं प्रसाद
प्रथम नवरात्र को आप पूजा के समय पीले रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें. इस दिन मंगल शांति की पूजा लाभकारी होती है.
प्रथम नवरात्रि के दिन माँ शैलपुत्री को गाय का शुद्ध घी अर्पित करने से आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है तथा शरीर निरोगी रहता है।
ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् ।
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता॥
प्रफुल्ल वंदना पल्लवाधरां कातंकपोलां तुग कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां स्नेमुखी क्षीणमध्यां नितम्बनीम्॥
शैलपुत्री की स्तोत्र पाठ
प्रथम दुर्गा त्वंहिभवसागर: तारणीम्।
धन ऐश्वर्यदायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥
त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।
सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥
चराचरेश्वरी त्वंहिमहामोह: विनाशिन।
मुक्तिभुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥
शैलपुत्री की कवच
ओमकार: मेंशिर: पातुमूलाधार निवासिनी।
हींकार: पातु ललाटे बीजरूपा महेश्वरी॥
श्रींकारपातुवदने लावाण्या महेश्वरी ।
हुंकार पातु हदयं तारिणी शक्ति स्वघृत।
फट्कार पात सर्वागे सर्व सिद्धि फलप्रदा॥
“नवरात्र पूजन विधि” के लिए क्लिक करें/Click here for “Navratri Poojan Vidhi“
नवरात्री में दुर्गा सप्तसती पाठ कराने हेतु संपर्क करें - +91 - 9990911538
नवरात्रों में किसी भी प्रकार के अनुष्ठान और पूजा का महत्व और परिणाम कई गुना अधिक बढ़ जाता है . नवरात्र के दौरान आप माँ भगवती के पूजन और दुर्गा सप्तसती के पाठ के अलावा निम्नलिखित ज्योतिषीय उपचार भी करा सकते है
वैवाहिक जीवन में समस्या हेतु | माँ कात्यायनी अनुष्ठान | Book Now |
संतान प्राप्ति हेतु | माँ स्कंदमाता अनुष्ठान | Book Now |
राजनैतिक सफलता हेतु | माँ अपराजिता अनुष्ठान | Book Now |
शत्रु बाधा निवारण या कोर्ट – कचहरी सम्बन्धी समस्यायों हेतु | माँ बंगलामुखी अनुष्ठान | Book Now |
भयानक पितृ दोष या प्रेत बाधा निवारण हेतु | माँ वनदुर्गा अनुष्ठान | Book Now |
धन – धन्य एवं समृधि हेतु | वैदिक महालक्ष्मी अनुष्ठान | Book Now |
जय माता दी !
पं. दीपक दूबे