" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

 माघ नवरात्री 2016/ गुप्त नवरात्र 2016/गुप्त नवरात्र/Magha Navratri 2016/ Magha Navratri/ Gup Navratri 2016/ Gupt Navratri

प्रारंभ : 9 फरवरी (मंगलवार) 2016

 समापन : 17 फरवरी (बुधवार) 2016

 

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माघ नवरात्र गुप्त नवरात्रों के नाम से भी जाने जाते हैं. माघ महीने यानी जनवरी या फरवरी माह में पड़ने के कारण इन नवरात्रों को माघ नवरात्र कहा जाता है, हालाँकि देश के अधिकतर भाग में माघ नवरात्रों के बारे में लोग नहीं जानते हैं. उत्तरी भारत जैसे हिमाचल प्रदेश, पंजाब , हरयाणा, उत्तराखंड के आस पास के प्रदेशों में गुप्त नवरात्रों  में माँ भगवती की पूजा की जाती है. माँ भगवती  के सभी 9 रूपों की पूजा नवरात्रों के भिन्न – भिन्न दिन की जाती है , अतः आइये देखते हैं  इन दिनों में किस देवी की पूजा  कब की जानी चाहिए

नवरात्री पूजा विधान जानने के लिए क्लिक करें 

 9 फरवरी (मंगलवार) ,2016 : घट स्थापन एवं माँ शैलपुत्री पूजा

10 फरवरी (बुधवार) 2016 : माँ ब्रह्मचारिणी पूजा

11 फरवरी (बृहस्पतिवार) 2016 : माँ चंद्रघंटा पूजा

12 फरवरी (शुक्रवार) 2016: माँ कुष्मांडा पूजा एवं माँ स्कंदमाता पूजा 

13 फरवरी (शनिवार) 2016 : माँ कात्यायनी पूजा

14 फरवरी (रविवार)  2016:  माँ कालरात्रि पूजा 

15 फरवरी (सोमवार)  2016माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी 

16 फरवरी (मंगलवार) 2016: माँ सिद्धिदात्री 

17 फरवरी (बुधवार) 2016नवरात्री पारण

नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना दुर्गा सप्तसती से की जाती है , परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है , यह श्लोक इस प्रकार है  –

 सप्तश्लोकी दुर्गा (सप्तशती)

विनियोग 

ॐ अस्य श्री दुर्गा सप्तश्लोकी स्तोत्र मंत्रस्य, नारायण ऋषि: अनुष्टुप् छ्न्द:

श्री महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वत्यो देवता: श्री दुर्गा प्रीत्यर्थे सप्तश्लोकी दुर्गा पाठे विनियोग: ।

श्लोक 

ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति ।।१।।

दुर्गे स्मृता हरसिभीतिमशेष जन्तो:
स्वस्थै: स्मृता मति मतीव शुभां ददासि
दारिद्र्य दु:ख भय हारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकार करणाय सदार्द्र चित्ता ।।२।।

सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते ।।३।।

शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे
सर्वस्यार्ति हरे देवि नारायणि नमोऽस्तुते ।।४।।

सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्व शक्ति समन्विते
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तुते ।।५।।

रोगान शेषा नपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलान भीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन् नराणां
त्वामाश्रिता ह्या श्रयतां प्रयान्ति ।।६।।

सर्वा बाधा प्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि
एकमेव त्वया कार्यमस्मद् वैरि विनाशनं ।।७।।

इति सप्तश्लोकी दुर्गास्तोत्र सम्पूर्णा ।।

जय माँ भगवती !

शिव उपासक एवं ज्योतिषविद 

पं. दीपक दूबे  <View Profile>


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