" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

मोहिनी एकादशी कथा/Mohini Ekadashi Katha

Ekadashi 2024/ एकादशी  2024

प्राचीन काल में धनपाल नाम का वैश्य अपने पूरे परिवार के साथ भद्रावती नाम कि नगरी में रहा करता था . धन सम्पंदा से पूर्ण धनपाल के पांच पुत्र थे. घर में सुख शांति ओर लक्ष्मी जी का वास था. सभी पुत्र नेक और कर्मठ  थे परन्तु सबसे छोटा पुत्र धृष्टबुद्घि धनपाल के नाम को बदनाम कर रहा था. धृष्टबुद्घि न तो काम करता था बल्कि पिता द्वारा कमाई हुई लक्ष्मी को भी दोनों हाथों से लुटा रहा था. उसके पापकर्मों से परेशान होकर एकदिन धनपाल ने उसे अपने घर से निकाल दिया. चारों पुत्रों ने भी पिता का साथ देते हुए अपने भाई धृष्टबुद्घि का बहिष्कार कर दिया.
धृष्टबुद्घि के पास अब भटकने के सिवाय कोई चारा न बचा. दिन रात मारा मारा फिरने के बाद एक दिन अचानक वह महर्षि कौण्डिल्य के आश्रम पर जा पहुंचा। वैशाख का महीना था। धृष्टबुद्घि पहले ही बहुत दुखी था ओर अपने द्वारा किये गये पाप कर्मो के कारण पछता रहा था. महर्षि कौण्डिल्य को देखते ही  धृष्टबुद्घि ने हाथ जोड़कर उनसे विनती की “ब्रह्मन्! द्विजश्रेष्ठ ! मुझ पर दया करके कोई ऐसा व्रत बताइये, जिसके पुण्य के प्रभाव से मेरी मुक्ति हो।’

कौण्डिल्य बोले: वैशाख मास के शुक्लपक्ष में ‘मोहिनी’ नाम से प्रसिद्ध एकादशी का व्रत करो। इस व्रत के पुण्य से कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं। धृष्टबुद्घि ने ऋषि द्वारा बताई विधि के अनुसार व्रत किया जिससे उसके सारे पाप नष्ट हो गये और दिव्य देह धारण कर श्रीविष्णुधाम को चला गया।

मोहिनी एकादशी व्रत/Mohini Ekadashi Vrat 

वरूथिनी एकादशी  / Varuthini Ekadashi                                                                           

अपरा एकादशी AparaaEkadashi

 


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