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पितृ दोष का सबसे सामान्य कारण आपके अपने घर या ननिहाल में आपके जन्म से पूर्व किसी सदस्य की अकाल मृत्यु हो जाती है और उसका दाह – संस्कार उचित तरीके से नहीं किया गया होता है तो ऐसी स्थिति में यह दोष उत्पन्न होता है। इसके अलावा यदि किसी कि भूमि या संपत्ति पर आपने बल पूर्वक अधिकार किया हो , जाने – अनजाने आपके पूर्वजों ने किसी की हत्या की हो या किसी को इतना सताया हो कि उस दुःख के कारण उसकी मृत्यु हो गयी हो तो आने वाली पीढ़ी में पितृ दोष स्वतः उत्पन्न हो जाता है . पितृ दोष अत्यंत ही हानिकारक होता है क्योंकि यह उस व्यक्ति को ही नहीं बल्कि पूरे परिवार को धीरे – धीरे दीमक की तरह नुकसान पहुंचता है और इसका इलाज ग्रह शांति नहीं है।
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आपकी कुंडली में चाहे कितने भी अच्छे योग क्यों ना हों, यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो जीवन अत्यंत संघर्षमय हो जायेगा। पितृ दोष के प्रभाव के कारण होने वाले सामान्य प्रभाव निम्न हैं –
पितृ दोष शांति के लिए भाद्रपद माह की पूर्णिमा से लेकर अश्विन माह की अमावस्या तक का समय सर्वमान्य रूप से निर्धारित है , इसे पितृ पक्ष भी कहते है. इसके अलावा पितृ शांति प्रत्येक माह की अमावस्या को भी कराया जा सकता है। पितृ दोष शांति के लिए होली के अगले दिन से लेकर नवरात्री प्रारम्भ होने से पूर्व अर्थात चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रथमा तिथि से लेकर अमावस्या तक का समय भी सर्वोत्तम होता है , इसका एक लाभ यह भी है कि चूँकि हमारा संवत्सर नवरात्र के प्रथम दिन से प्रारंभ होता है अतः इस समय पितृ शांति कारने से घर – परिवार में कोई शुभ कर्म जैसे शादी, गृह प्रवेश इत्यादि करने में कोई रुकावट नहीं होती है .