" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

Rama Ekadashi/रमा एकादशी

Ekadashi 2024 / एकादशी 2024 

रमा एकादशी का पौराणिक महत्व 

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी रमा एकादशी के नाम से जानी जाती है. इस दिन भगवान् केशव को सम्पूर्ण वस्तुयों से पूजन , नैवेद्य तथा आरती कर प्रसाद वितरण का विधान है. रमा एकादशी को ब्राह्मणों को दक्षिणा दी जाति है.

व्रत विधिपुराणों के अनुसार दशमी तिथि  को  शाम में सूर्यास्त के बाद भोजन नहीं करना चाहिए और रात्रि में भगवान का ध्यान करते हुए सोना चाहिए। एकादशी का व्रत रखने वाले को अपना मन को शांत एवं स्थिर रखें. किसी भी प्रकार की द्वेष भावना या क्रोध मन में न लायें. परनिंदा से बचें. इस एकादशी को ताँबा, चाँदी, चावल और दही का दान करना उचित है।

प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करे तथा स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान् विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीप जलाएं. भगवान् विष्णु की पूजा में  तुलसी, ऋतु फल एवं तिल का प्रयोग करें। व्रत के दिन अन्न वर्जित है. निराहार रहें और शाम में पूजा के बाद चाहें तो फल ग्रहण कर सकते है. यदि आप किसी कारण व्रत नहीं रखते हैं तो भी  एकादशी के दिन चावल का प्रयोग भोजन में नहीं करना चाहिए।

एकादशी के दिन रात्रि जागरण का बड़ा महत्व है। संभव हो तो रात में जगकर भगवान का भजन कीर्तन करें। एकादशी के दिन विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। अगले दिन यानी द्वादशी तिथि को ब्राह्मण भोजन करवाने के बाद स्वयं भोजन करें।

सागार: इस दिन केले का सागार काम में आता है.

फल: पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रमा एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के ब्रह्महत्या आदि पाप नष्ट हो जाते है तथा मृत्यु के बाद विष्णु लोक की प्राप्ति होती है.

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