पूर्ण रूप से 23 मार्च को केतु और शनि ग्रह की युति धनु लग्न को प्रभवित करेगा | केतु और शनि ग्रह की युति का प्रभाव 10 महीनों तक रहेगा | इसके बाद 8 महीने तक केतु गुरु ग्रह के साथ धनु लग्न में युति करेगा |
केतु के शुभ प्रभाव – केतु के शुभ प्रभाव से जातक जिस चीज की कल्पना नहीं कर सकता ऐसी गतिविधियाँ होती हैं | केतु के शुभ-प्रभाव से अचानक से किसी कार्य में आपको अच्छी सफलता मिलेगी | धर्म के प्रति जागरूकता और रूचि बढ़ेगी | केतु के शुभ प्रभाव से आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है | जातक बिना सोचे-विचारे सहायता करने को तैयार रहता है | केतु के दशम भाव में होने के कारण जातक मृत्यु के पश्चात बहुत ख्याति प्राप्त करता है |
केतु के अशुभ प्रभाव – केतु के अशुभ प्रभाव से अचानक जातक के साथ कोई दुर्घटना घटित होती है | कोई हिंसात्मक घटना घटित हो वो भी केतु के अशुभ प्रभाव के कारण होती है | किसी विषाक्त जीव अथवा जंगली जानवरों के द्वारा कोई घटना घाट सकती है | केतु के अशुभ प्रभाव जातक अपने पतन की तरफ अग्रसर होता हैं | अकस्मात् किसी चीज की बड़ी हानि होती है | तथा भौतिक सुखों का नाश होता है | केतु के दुष्प्रभाव से जातक के अन्दर हिंसात्मक प्रवृत्ति उत्पन्न करा सकता है |
यह राशिफल सूर्य या चन्द्र राशि पर आधारित न होकर लग्न पर आधारित है. यह बहुत ही सामान्य आधार पर है अतः किसी विशेष परिस्थिति में अपनी कुंडली की जाँच कराकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचे . अच्छे या बुरे परिणाम आपकी वर्तमान दशा- अंतर दशा पर निर्भर करते हैं.
मेष – मेष राशि के जातकों के लिए केतु नवम भाव में भाग्य के स्थान पर रहेंगे और शनि दशम भाव में एकादश के स्वामी हैं | केतु और शनि के युति के प्रभाव के कारण आपके लिए जन्मस्थान से कहीं दूर जाने की स्थिति बन रही है | देश-विदेश की यात्रा सम्भव है | यात्राओं से लाभ मिलेगा | धर्म के पथ पर अग्रसर होंगे | सामाजिक कार्यों में रूचि बढ़ेगी | भाग्य भरोसे कार्यों में रुकावट आएगी | भाग्य आपका बहुत साथ नहीं देगा | सन्तान सुख की प्राप्ति होगी | आपके पराक्रम में वृद्धि रहेगी | आपकी पदोन्नति तथा आय में बाधा उत्पन्न होगी | किसी चीज के लिए अत्यधिक संघर्ष करना पड़ेगा | आपके कार्य-व्यापार में बाधा उत्पन्न होगी तथा कोई भी कार्य शीघ्र नहीं होगा | पिता से अच्छा सम्बन्ध बना रहेगा |
वृषभ – वृषभ राशि के जातकों के लिए केतु और शनि अष्टम भाव में रहेंगे | जिसका जातक के ऊपर काफी बुरा असर पड़ेगा | अचानक आपका स्वास्थ खराब होने की सम्भावना बनी हुई है | अचानक से कोई बड़ी घटना-दुर्घटना होने की प्रबल योग बना हुआ है | विशेषकर मई, सितम्बर और दिसम्बर का महीना आपके लिए अत्यधिक घातक रहेगा | बहुत से लोगों के लिए एक से अधिक सम्बन्ध तथा दूसरा विवाह होने की भी सम्भावना बनी हुई है | कार्य-व्यापार में अत्यधिक संघर्ष की स्थिति बनी रहेगी तथा व्यापार में बाधा उत्पन्न होगी और आपको कोई लम्बी अवधि की बिमारी हो सकती है |
मिथुन – केतु और शनि आपके सप्तम भाव में रहेंगे | इनके प्रभाव से आप दूसरों को निष्पक्ष होकर और सही सलाह देंगे | आपके शत्रुओं का विनाश होगा | जिस कार्य में आप स्वयं परिश्रम करेंगे उसमे आपको अच्छी सफलता मिलेगी | जो लोग अपने वचन पर अडिग रहेंगे उनको अच्छी सफलता में निराशा नहीं होगी | जिन लोगों को अपनी बातों को बार-बार पलटने की आदत है, उन्हें निराशा उत्पन्न होगी | आपके जीवनसाथी पर केतु और शनि ग्रह की युति का बेहद खराब प्रभाव पड़ेगा | जिन लोगों के जीवन साथी की स्वास्थ सम्बन्धित समस्या है | उसमे और वृद्धि होने का प्रबल योग बना हुआ है तथा बहुत से लोगों के लिए विछोह तक की समस्या उत्पन्न कर सकता है | जो लोग साझेदारी में कार्य-व्यापार कर रहे हैं | उनके लिए कार्य-व्यापार में रुकावट उत्पन्न होगी |
कर्क – केतु और शनि ग्रह की युति छठें भाव में रहेगी | जिसके प्रभाव से आपके शत्रुओं का विनाश होगा | कोर्ट-कचहरी के मामले से छुटकारा मिलेगा | पुराने कर्ज से मुक्ति मिलेगा | इस समय आप दुस्साहस भरे कार्य करेंगे | आप कठिन से कठिन परिश्रम से नहीं घबराएंगे | अत्यधिक परिश्रम का अच्छा परिणाम मिलेगा | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | कार्य-व्यापार में बाधा का योग बना हुआ है | केतु और शनि के युति के प्रभाव के कारण विवाह इत्यादि में विलम्ब होगा | व्यक्तिगत निर्णय के लिए समय ठीक नहीं है | आप कोई स्पष्ट निर्णय नहीं कर पायेंगे |
सिंह – केतु और शनि ग्रह इस समय आपके पञ्चम भाव में रहेंगे | जिसके कारण पढ़ाई करने की इच्छा प्रबल रहेगी, परन्तु आपकी इच्छा पूरी हो इसमें संशय है | शिक्षा के मामले में थोड़ा रुकावट के साथ सफलता का योग है | सन्तान के लिए हानिकारक स्थिति बनी हुई है | जो गर्भवती महिलाएँ हैं उनका कष्ट बढ़ेगा | जो लोग सन्तान के लिए प्रयासरत हैं , उनके लिए बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न होने का योग बना हुआ है | यदि कुण्डली में कोई दोष है, या कालसर्प दोष पञ्चम भाव में ही है तो समस्या और विकराल रूप ले सकती है |
कन्या – कन्या लग्न के जातक के लिए केतु और शनि ग्रह की युति चतुर्थ भाव में होगी | जिससे आपके लिए हानिकारक स्थिति उत्पन्न होगी | आप काल्पनिक भय के शिकार होंगे | आपको हमेशा किसी न किसी प्रकार का डर बना रहेगा | आप वास्तविकता से अधिक की सोच रखेंगे | आपकी सोच नकारात्मक रहेगी | भूमि, भवन, वाहन इत्यादि की खरीदारी में कुछ न कुछ रुकावट उत्पन्न होती रहेगी | बहुत से लोग पुराने भवन, वाहन खरीदेंगे तथा उसके मरम्मत को लेकर परेशान होंगे | शनि, केतु ग्रह की युति आपकी माँ के सेहत को प्रभावित करेगा | कहीं किसी प्रकार से धन निवेश ना करें इसमें आपको हानि होगी |
तुला – केतु और शनि की युति तीसरे भाव में होगी | जिसके प्रभाव से आपके अन्दर निश्छल पराक्रम की वृद्धि होगी | आप कोई भी कार्य निःस्वार्थ भाव से करेंगे | आप आवश्यकता से अधिक और अच्छी भावना से कार्य करेंगे | आपकी अच्छे लोगों से मित्रता होगी | सगे सम्बन्धी बढ़ेंगे | तथा उनसे आपको लाभ मिलेगा | मित्र तथा सगे-सम्बन्धियों से आप अधिक से अधिक लाभ मिलने की अपेक्षा रखेंगे | भाई-बहन से कोई वाद-विवाद हो तो उसे आप सुलझाने की कोशिश करेंगे | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | अपने करीबी लोगों से मिलने की प्रबल इच्छा रहेगी | यदि आपकी कुण्डली में ‘कालसर्प दोष’ है और शनि केतु की दशा अन्तरदशा चल रही है तो भाई-बहनों से तेज वाद-विवाद हो सकता है | करीबी मित्रों से मतभेद हो सकता है | परिश्रम का परिणाम तुरन्त नहीं मिलेगा |
वृश्चिक – केतु और शनि ग्रह की युति दुसरे भाव में रहेगी | जिसके कारण पारिवारिक सुख में कमी रहेगी तथा परिवार के विरोध का सामना आपको करना पड़ सकता है | आपके धन संग्रह में कमी रहेगी | धन संचय करने में आपको बाधा उत्पन्न होगी | सरकारी कार्यों में भी आपको कठिनाईयों का सामना करना पड़ेगा | आपके प्रतिष्ठा के लिए सही समय नहीं है | आपके सम्मान में कमी होने की सम्भावना बनी हुई है | इसके प्रति सतर्क रहें | आपकी वाणी कठोर तथा समझ से परे रहेगी | कार्य-व्यापार से होने वाले लाभ में रुकावट का योग बना हुआ है |
धनु – केतु और शनि की युति आपके लग्न भाव में हो रही है | जिसके प्रभाव से आपके व्यक्तित्व में बदलाव आयेगा | आपका मन अशान्त रहेगा | गलत लोगों का साथ मिलेगा | इधर की बात उधर करने की प्रवृति आपके अन्दर उत्पन्न होगी | जिन लोगों को कब्ज अथवा नसों से सम्बन्धित कोई बिमारी है तो उसमे वृद्धि होने का प्रबल योग बना हुआ है | आपका पराक्रम बढ़ा रहेगा | आपके अन्दर किसी कार्य को करने उत्साह रहेगा | आपके अन्दर जिद्द की भावना प्रबल रहेगी | आपके कार्यों में ज़रा भी ईमानदारी की कमी हुई तो आपको बहुत बड़ी हानि होने की प्रबल सम्भावना बनी हुई है |
मकर – केतु और शनि ग्रह की युति आपके द्वितीय भाव में हो रही है | जिसके कारण आपके लिए अपने जन्मस्थान से कही दूर विदेशों में जाकर बसने की सम्भावना उत्पन्न हो रही है | विदेशी कार्य-व्यापार में आपको लाभ मिलेगा | धार्मिक और सामाजिक कार्यों से भी आप लाभान्वित होंगे | आपके अन्दर व्यसन की प्रवृत्ति उत्पन्न होगी | नींद की कमी रहेगी | विशेषकर उन जातकों के लिए जिनका शनि वक्रिय हों और चन्द्रमा नीच का हों | किसी भी कार्य में आपको परिश्रम अधिक करना पड़ेगा और इसका परिणाम तुरन्त नहीं मिलेगा | बहुत से लोगों के लिए घर में कोई बड़ी हानि होने की सम्भावना प्रबल है | जातक की कुण्डली में केतु और शनि की दशा-अन्तरदशा खराब हो तो, बाहरी लोगों द्वारा घर में घुसकर किसी खतरनाक घटना को अंजाम दिया जा सकता है |
कुम्भ – केतु और शनि की युति आपके एकादश भाव में हो रही है | आपके लग्नेष शनि हैं |जिसके कारण आपके आय में वृद्धि होगी | परन्तु इसके लिए आपको अथक परिश्रम करना पड़ेगा | सन्तान के लिए प्रतिकूल समय है | शिक्षा में रुकावट का योग बना हुआ है लेकिन परिश्रम से सफलता का योग है | व्यापार में वृद्धि होगी तथा व्यापार से आपको लाभ मिलेगा | जातक की कुण्डली में केतु और शनि की दशा अन्तरदशा खराब है तो आपके आय में रुकावट हो सकती है और परिश्रम अधिक करना पड़ेगा |
मीन – केतु आपके दशम भाव में रहेंगे | जिसके कारण आपको सरकारी कार्यों में बड़ी सफलता मिलेगी | यदि आपकी कुण्डली में केतु और गुरु की युति हो रही है तो आपकी कोई लौटरी लग सकती है और कहीं आपको कोई बड़ी पद-प्रतिष्ठा हाँसिल हो सकती है | पिता के सम्पत्ति में आपको अच्छे सुख की सम्भावना बन रही है और शनि केतु के युति के कारण आपकी चीजों में रुकावट आयेगी | आपके माता के सुख में कमी रहेगी | आय में वृद्धि होगी | आपके मान-सम्मान में वृद्धि होगी | यात्राओं से लाभ होगा | कार्यक्षेत्र में आपके सहकर्मियों तथा आपके सेवकों से आपको हानि होगी | तथा आपके लिए मान्सिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो सकती है |
केतु के उपचार
शुभम भवतु !
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे