शरद ऋतु के आश्विन माह में आने के कारण इन्हें शारदीय नवरात्रों का नाम दिया गया है. नवरात्री में माँ भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा भिन्न – भिन्न दिन की जाती है. इंग्लिश कैलेंडर के अनुसार यह नवरात्र सितम्बर या अक्टूबर में आते हैं. शारदीय नवरात्रों का समापन दशमी तिथि को विजय दशमी के रूप में माना कर किया जाता है. अतः आइये देखते हैं इन दिनों में किसकी और कब पूजा की जानी चाहिए.
17 अक्टूबर (शनिवार) प्रतिपदा | घट स्थापन एव माँ शैलपुत्री पूजा |
18 अक्टूबर (रविवार) द्वितीया | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा |
19 अक्टूबर (सोमवार) तृतीया | माँ चंद्रघंटा पूजा |
20 अक्टूबर (मंगलवार) चतुर्थी | माँ कुष्मांडा पूजा |
21 अक्टूबर (बुधवार) पंचमी | माँ स्कंदमाता पूजा |
22 अक्टूबर (बृहस्पतिवार) षष्टी | माँ कात्यायनी पूजा, सरस्वती आह्वाहन |
23 अक्टूबर (शुक्रवार) सप्तमी | कालरात्रि पूजा, सरस्वती पूजा |
24 अक्टूबर (शनिवार) अष्टमी | माँ महागौरी पूजा, दुर्गा अष्टमी, महा नवमी |
25 अक्टूबर (रविवार) नवमी | नवरात्री पारण, विजय दशमी |
26 अक्टूबर (सोमवार) दशमी | दुर्गा विसर्जन |
नवरात्रों में माँ भगवती की आराधना दुर्गा सप्तसती से की जाती है , परन्तु यदि समयाभाव है तो भगवान् शिव रचित सप्तश्लोकी दुर्गा का पाठ अत्यंत ही प्रभाव शाली एवं दुर्गा सप्तसती का सम्पूर्ण फल प्रदान करने वाला है.