गजानन संकष्टी
चतुर्थी तिथि आरम्भ : 31 जुलाई , 8:44 AM
चतुर्थी तिथि समाप्त : 1 अगस्त , 10:23 AM
व्रत का फल : महापुण्य दायक दरिद्र शोक नाशक , सन्तान-सौभाग्य दायक, रोग ,और शत्रु विनाश के लिए यह व्रत उत्तम है.
पूर्वकाल में हिमाचल पुत्री पार्वती ने शिवजी को पतिरूप में प्राप्त करने के लिए कठोर ताप किया परन्तु शिवजी प्रसन्न नहीं हुए तब पार्वतीजी ने अनादि काल से विधमान गणेश का ध्यान किया तब गणेश जी आये .उन्हें देखकर पार्वती जी बोली-शिव के लिए मैंने महान तप किया ,परन्तु शिव प्रसन्न नहीं हुए . हे विघ्नाशक ! नारद द्दारा बताये हुए व्रत के विधान को मुझसे कहिए .श्री गणेश बोले हे माता ! श्रावण कृष्ण चौथ के दिन निराहार रह कर मेरा व्रत करे और चन्द्रोदय के समय मेरी पूजा करें .
षोडश उपचारादी से पूजन करके पन्द्रह लड्डू बनावें .सर्वप्रथम भगवान को लड्डू अर्पित करके उनमें से पांच लड्डू दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दे . पांच लड्डू अर्घ देकर चन्द्रमा को अर्पण करे और पांच लड्डू स्वयं भोजन करे .यदि इतनी शक्ति न हो तो सामर्थ के अनुसार करें , भोग लगा कर दही के साथ भोजन करें .प्रार्थना कर गणेश का विसर्जन करें , गुरु ब्राह्मण को वस्त्र दक्षिणा अन्न आदि दें . इस प्रकार जीवन पर्यन्त वर्ष भर इस व्रत को करें .
एक वर्ष पूर्ण होने पर श्रावण कृष्ण चौथ का उद्यापन करें . उद्यापन में एक सौ आठ लड्डू का हवन करें . केले का मंडप बनावें पत्नी के साथ आचार्य को शक्ति के अनुसार दक्षिणा दे . पार्वती जी ने व्रत किया और शंकरजी को पति रूप में प्राप्त किया . पूर्वकाल में इस व्रत को राज्य को प्राप्त करने के लिए युधिष्ठर ने किया था . धर्म, अर्थ और मोक्ष को देने वाला यह व्रत हैं .
आषाढ़ संकष्टी गणेश चतुर्थी संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत तिथि 2018 भाद्रपद संकष्टी गणेश चतुर्थी