ग्रहण या सूतक का हिन्दू धर्म में विशेष महत्त्व है | सामान्यतः ग्रहण साल में चार बार आते है | ग्रहण सूर्य, चंद्रमा और पृथवी के एक साथ आने की स्तिथि होती है | अमावस्या को सूर्य ग्रहण और पूर्णिमा को चंद्र ग्रहण पड़ता है | धार्मिक मान्यता के अनुसार सूर्य या चंद्र ग्रहण दिखाई देने पर ही सूतक मान्य होता है और यदि ग्रहण दिखाई ना दे तो उनकी कोई भी धार्मिक मान्यता नहीं होती है |
सूतक का तात्पर्य ख़राब समय या ऐसा समय जब प्रकृति अधिक संवेदनशील होती है , अतः घटना दुर्घटना होने की संभावना भी बढ़ जाती है | इसलिए ऐसे समय में सचेत रहे और ईश्वर का धयान लगाए | वैसे तो हम जीवन में भी नियमो का पालन करते है परंतु सूतक के दौरान हमे विशेष नियमो का पालन करना चाहिए | धर्म और शास्त्र में बताया गया है कि सूतक में कौन कौन से काम करने चाहिए और कौन कौन से नहीं |
काल : सूतक में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का काल अलग अलग होता है | यदि सूर्य ग्रहण आपके क्षेत्र में पड़ने वाला है और दिखाई दे रहा है चाहे कम समय के लिए ही क्यों ना हो उसकी धार्मिक मान्यता होती है | सूर्य ग्रहण में सूतक का प्रभाव 12 घंटे पहले और चंद्र ग्रहण में सूतक का प्रभाव 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है |
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सूर्य अथवा चन्द्र ग्रहण के दौरान ध्यान देने योग्य बातें :
सूर्य ग्रहण के दौरान शौचालय ना जाये | लेकिन गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग , बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता |
सूतक में भोजन ना करे | दूध , फल, जूस या सात्विक भोजन ले सकते है | फिर से गर्भवती महिलाएं, बुज़ुर्ग , बच्चे और बीमार व्यक्ति पर यह नियम लागू नहीं होता | व वे लोग इस दौरान फल, जूस, पानी का सेवन कर सकते है |
सूतक में भोजन ना बनाये | विशेषतौर से गर्भवती महिलाएं चाकू छुरी से कुछ भी ना काटे |
सूतक में सिलाई कढ़ाई का कार्य ना करे | विशेषकर से गर्भवती महिलाएं |
सूर्य ग्रहण को ना देखे | विशेषकर नंगी आंखों से तो कतई नहीं .
भगवान की मूर्ति को स्पर्श ना करे |
व्यसन से दूर रहे | अपराध बुरे काम, बुरे विचार और झूठ से दूर रहे | क्योंकि इस समय किये गए बुरे कार्य का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है |
क्या करे :
ग्रहण के बाद घी और खीर से हवन करे इससे आपको लाभ और लंबे रोग से छुटकारा मिलेगा |
यदि चंदमा निर्बल है तो “ॐ चन्द्राय: नमः” मन्त्र का जप करे |
यदि आपका सूर्य निर्बल है तो इस दौरान मंत्र“ॐ सूर्याय: नमः” का जप करे |
पितृ दोष निवारण के लिए भी सूर्य ग्रहण का समय उपयुक्त होता है |
ग्रहण के समय यदि आपकी कुंडली में सूर्य या चंद्र दोष है तो यह समय ग्रहण संबंधी उपचार के लिए उपयुक्त है |
यदि आप किसी तीर्थ स्थल पर है तो वह स्नान कर जप और दान करे |
ग्रहण के उपरांत स्नान कर यथासंभव किसी जरूरतमंद को दान करे आपको इसका लाभ मिलेगा |
विशेष: ग्रहण के दौरान तुलसी पत्ता तोडना निषेध है इसलिए सूतक से पहले तोड़ ले |
दूध और दही में भी तुलसी पत्ता डाल दे |
यदि कुछ विशेष भोजन है जो आप फेकना नहीं चाहते तो उसमे सूतक से पहले तुलसी पत्ता डाल दे |
सूतक के दौरान भोजन ना बनाये | सूतक से पहले भोजन तैयार कर ले और सूतक के दौरान ही समाप्त कर ले यदि ये भोजन बच जाता है तो उसे पशु ,पक्षी को डाल दे |
धार्मिक पुस्तक पढ़े |
सोच को सकारात्मक रखे | विशेषतोर पर गर्भवती महिलाये क्योंकि उसका सीधा प्रभाव आपके होने वाले बच्चे पर पड़ता है |
अच्छे विचार और भाव मन में लाये |
अपने सामान्य दैनिक कार्य करें |
स्नान कर भगवान का मनन करे . जो भी आपके आराध्य देव है उनका धयान करे |
अंत में एक बार फिर से गर्वभती महिलाये , बच्चे , बुज़ुर्ग और बीमार व्यक्तियों के लिए भोजन लेना , शौचालय जाना , दवाई लेने पर कोई पाबन्दी नहीं है |