सतयुग में मुर नामक दैत्य ने देवताओं पर विजय प्राप्त कर इंद्र को सिंहासन से पदस्थ कर दिया। देवता दुःखी होकर भगवान शिव की शरण में पहुंचे। शिवजी ने भगवान् विष्णु से सहायता करने को कहा। भगवान् विष्णु ने सभी दानवों का संहार कर दिया लेकिन मुर दैत्य नहीं मरा। वरदान मिलने के कारण वह अजय था .
युद्ध के बाद भगवान् विष्णु बद्रीनाथ में आराम करने लगे। मुर ने भी पीछा न छोड़ा। मुर ने वहां जाकर विष्णु जी को मारना चाहा। तभी भगवान् विष्णु के शरीर से एक कन्या का जन्म हुआ और उसने मुर का अंत कर दिया।
उस कन्या से भगवान् विष्णु ने कहा, ‘तुम मेरे शरीर से उत्पन्न हुई हो, मैं तुम्हें वरदान देता हूं कि तुम्हारी आराधना करने पर माया जाल और मोहवश मुझे भूलने वाले प्राणी मेरी कृपा दृष्टि में रहेंगे।’ उन्हें अंत में विष्णु लोक प्राप्त होगा।
उत्त्पन्ना एकादशी व्रत /Uttpanna Ekadashi Vrat