जन्म कुंडली में बुध की स्तिथि से शिक्षा, स्मृति, संचार कौशल, कैरियर, व्यवसाय, बुद्धि,लेखन आदि का ज्ञान होता है. नीच का बुध विपरीत परिणाम देने में सक्षम है जैसे शिक्षा में बाधा, मानसिक असंतुलन, संवादहीनता, कमज़ोर स्मरण शक्ति, व्यापार में घाटा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप से सम्बंधित रोग .
जनम कुंडली में शुक्र की स्तिथि से प्रेम, सौंदर्य, सौहार्द, पत्नी, प्रेमिका से सम्बन्ध, विवाह एवं साझेदारी, मादकता, सुन्दरता, शांति, सुख , आनंद, ईमानदारी, सत्यनिष्ठा, शुद्धता, भाग्य में सहिष्णुता, प्रेम, दया, संवेदनशीलता आकर्षण आदि का ज्ञान होता है. नीच का शुक्र विपरीत परिणाम देने में सक्षम है जैसे स्नेह का अभाव, सौंदर्य में कमी ,प्रतिष्ठा तथा शान शौकत की हानि घोटाला, मंदी आदि समस्याएं. विवाह संबंधी समस्याओं, वित्तीय घाटे यह सभी लक्षण नीच शुक्र के हो सकते हैं. नीच का शुक्र या दूषित शुक्र के बुरे प्रभावों को कम करने के लिए वैदिक शुक्र शांति अनुष्ठान ही एकमात्र उपाय है. शुक्र शांति अनुष्ठान में शुक्र मंत्र जप, स्तुति और यज्ञ किया जाता है.
वैदिक शुक्र शांति अनुष्ठान में शुभ महूर्त, दिशा, हवन समिधा का विशेष ध्यान दिया जाता है ताकि दूषित शुक्र के नकारात्मक प्रभावों को अधिक से अधिक घटाया जा सके.
सभी प्रमुख कर्म काण्ड मेरी देख रेख में संपन्न होते है.
अनुष्ठान (एक दिवसीय) | 22,200 मंत्र जप +हवन | Rs. 11,000/- | Request Now |
अनुष्ठान (आठ दिवसीय) | 88,800 मंत्र जप +हवन | Rs. 35,000/- | Request Now |
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