शुक्र मेष राशि में 25 अप्रैल प्रातः 11 बजे प्रवेश करेगा और 28 अप्रैल को अस्त हो जायेगा.
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मेष : दूसरे भाव और सप्तम भाव का स्वामी शुक्र मेष लग्न के जातकों के लिए लग्न में आ रहा है. लग्नस्थ शुक्र को भाग्यशाली माना गया है , आप इस समय प्रसन्नता और सुख का अनुभव करेंगे विवाह के योग्य लोगों के लिए वैवाहिक प्रस्ताव आ सकते है. यहाँ सूर्य शुक्र की युति के कारण नए प्रेम सम्बन्ध उत्पन्न हो सकते है या संबंधों में और नजदीकी आएगी , धर्म और दान में रूचि बढ़ेगी और कुछ पुण्य कार्य भी संपन्न होंगे.
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वृष : लग्नेश और षष्टेश शुक्र अब आपके द्वादश भाव में प्रवेश करेगा वैसे तो द्वादश भावगत शुक्र को राजयोगकारी माना गया है परन्तु आपके लिए यह कार्यों में विलम्ब कराने वाला होगा , इस समय परिश्रम का उतना फल प्राप्त नहीं होगा जितना आप उम्मीद करेंगे . शत्रुओं के लिए शुक्र परेशानी उत्पन्न करने वाला होगा , अनावश्यक के व्यय उत्पन्न होंगे तथा अनावश्यक की यात्रा होगी . जीवन साथी के स्वास्थ्य से सम्बंधित समस्या उत्पन हो सकती है , अपनी आँखों के प्रति सचेत रहें क्योंकि सूर्य और शुक्र की युति अत्यंत हानिकारक हो सकती है , कोई एक ही बहुत था परेशानियाँ उत्पन्न करने के लिए अभी तो कुछ समय के लिए दोनों ही रहेंगे .
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मिथुन : मिथुन लग्न में शुक्र द्वादश और पंचम भाव का स्वामी है जो अब आपके एकादश भाव में आएगा , यहाँ से इसकी सीधी सप्तम दृष्टि अपनी ही राशि तुला पर होगी जो आपका पंचम भाव है अतः शिक्षा – प्रतियोगिता में सफलता लगभग निश्चित होगी , शुक्र की इस स्थिति के कारण जीवन साथी के साथ मिलकर चलने में ही आपकी भलाई और भाग्योदय है , विवाद आपको परेशानी में डाल देगा . पदोन्नति के लिए तथा बौद्धिक कार्यों के लिए शुक्र की यह स्थिति बहुत अच्छी है.
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कर्क : यहाँ शुक्र चतुर्थ और एकादश भाव का स्वामी है जो अब आपके दशम भाव में आ रहा है यह शुक्र उन लोगों को अत्यधिक लाभ देगा जो पहले से ही शुक्र सम्बंधित कार्य – व्यापार में हैं जैसे फैशन ,मनोरंजन , कपडा , जेवरात – आभूषण , स्त्री रोग विशेषग्य , कला तथा आयात – निर्यात इत्यादि कार्यों से जुड़े लोगों को खूब लाभ होगा विशेष कर यदि शुक्र की दशा भी चल रही हो तो कहने ही क्या परन्तु कर्क लग्न वालों के लिए शुक्र बाधक भी है अतः यदि शुक्र की दशा हो और कार्यों में रूकावट हो तो शुक्र की वैदिक शान्ति करा लेनी चाहिए . भाई – बहनों से संबंधों में यह शुक्र कुछ परेशानी उत्पन्न कर सकता है परन्तु वैवाहिक जीवन के लिए यह बेहतर है .
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सिंह : सिंह लग्न के जातकों के लिए शुक्र दशम भाव और तृतीय भाव का स्वामी है जो अब नवम भाव में प्रवेश करेगा आर्थिक उन्नति के लिए यह शुक्र बहुत लाभकारी है , बुद्धि और पराक्रम के बल पर बहुत उन्नति दायक है यह शुक्र , भाई – बहनों के साथ सम्बन्ध और सहयोग बेहतर होगा , राजनैतिक क्षेत्र में कार्य करने वाले तथा विदेशों से व्यापार करने वाले लोगों को बहुत लाभ होगा. इस समय पैतृक संपत्ति मिलने के योग भी कुछ लोगों के लिए बनेगे .
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कन्या : कन्या लग्न के जातकों के लिए शुक्र अत्यंत ही योगकारक ग्रह है क्योंकि यह दूसरे स्थान और नवं स्थान का स्वामी है परन्तु अब यह आपके अष्टम भाव में आएगा जो हानिकारक एवं अशुभ है आर्थिक मामलों में तो संभवतः कुछ उन्नति हो परन्तु भाग्य साथ नहीं देगी , कोई भी नया कार्य करने में बहुत कठिनाई होगी , बड़ों और उच्च अधिकारीयों का सहयोग नहीं प्राप्त होगा . कुछ लोगों को सेक्स की इच्छा बीमारी की हद तक प्रबल हो सकती है जिन्हें इस प्रकार की समस्या पहले से है उन्हें बहुत परेशानी होगी , जननेन्द्रियों में कोई रोग या परेशानी उत्पन्न हो सकता है . माता के लिए भी यह स्थिति ठीक नहीं है कुल मिलाकर यह शुक्र आपके लिए हानिकर ही है .
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तुला : तुला लग्न के जातकों के लिए शुक्र लग्नेश और अष्टमेश है और इस समय यह सप्तम भाव में प्रवेश करेगा , लग्नेश का सप्तम भाव में आना प्रेम संबंधों के लिए बहुत योगकारी है , व्यक्तिगत जीवन, प्रेम सम्बन्ध या वैवाहिक जीवन आनंददायी रहेगा . ससुराल और जीवन साथी दोनों से ही लाभ की स्थिति बनेगी , यह शुक्र कार्य – व्यापार में भी उन्नति कराने वाला होगा मन में प्रसन्नता और उत्साह रहेगा , मान – प्रतिष्ठा के लिए भी यह समय बहुत अनुकूल रहेगा साथ ही आप अपने परिवार या करीबी लोगों की इच्छाओं को पूरा करने में समर्थ होंगे .
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वृश्चिक : वृश्चिक लग्न में शुक्र द्वादश और सप्तम भाव का स्वामी है जो अब छठे भाव में प्रवेश करेगा जो बहुत शुभ सूचक नहीं है , कार्यों में बाधायें आयेंगी , आर्थिक मामलों के लिए यह परेशानी उत्पन्न करने वाली स्थिति उत्पन्न करेगा , इस समय कर्ज लेने की स्थिति उत्पन्न हो सकती है और वह भी ना तो आसानी से मिलेगा ना ही आसानी से चुकाया जायेगा . वैवाहिक जीवन के लिए भी इस शुक्र की स्थिति अच्छी नहीं है , वैवाहिक प्रस्ताव रुक या टूट सकते हैं , प्रेम संबंधों में भी समस्या उत्पन्न होगी . गुप्त शत्रु और असाध्य बिमारी होने का योग भी कुछ लोगों के लिए बन सकता
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धनु : छठें और एकादश भाव का स्वामी शुक्र अब आपके पंचम भाव में आयेगा , यह आर्थिक स्थिति के लिए बेहतर है क्योंकि यह आय में वृद्धि करेगा . हालाकि यह संतान के लिए बहुत अच्छा नहीं है , संतान को कोई कष्ट हो सकता है , गर्भवती महिलाओं को भी कुछ समस्या उत्पन्न हो सकती है . परन्तु यह शुक्र करियर के लिए बहुत अच्छा है . कर्ज से मुक्ति के मार्ग खुलेंगे बौद्धिक क्षमता बेहतर होने से शिक्षा – प्रतियोगिता या साक्षत्कार देने वालों को सफलता मिलेगी . एक सावधानी आपको रखनी है और वह है कि यदि चंद्रमा की दशा या अंतर हो तो यह घातक हो सकता है , महामृत्युंजय का अनुष्ठान कराना श्रेयस्कर रहेगा .
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मकर : मकर लग्न में शुक्र पंचम और दसम स्थान का स्वामी है और अब यह चतुर्थ भाव में प्रवेश करेगा , चतुर्थ भाव में शुक्र अत्यंत ही योग कारी है अतः यह आपको चहुमुखी विकास कराएगा . आपको इस समय हर क्षेत्र में चाहे व्यापार हो , नौकरी हो , राजनीति हो या कोई भी कार्य हो सफलता और सम्मान अवश्य मिलेगा विशेष कर यदि शुक्र की दशा – अंतर है तो निश्चित . चूँकि इस समय सूर्य भी यही है अतः यह आपकी माता के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं अतः इसका ध्यान रखना होगा . वैवाहिक जीवन , प्रेम प्रसंग , भौतिक सुख – सुविधायें , भूमि – भवन – वाहन इत्यादि के क्रय – विक्रय के लिए भी यह अत्यंत ही शुभदायी है .
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कुम्भ : चतुर्थ और भाग्य स्थान का स्वामी शुक्र अब आपके तीसरे भाव में प्रवेश करेगा , शुक्र की यह स्थिति आपके पराक्रम और कार्य क्षमता को तो बढ़ाएगी , महत्वाकांक्षा को भी बढ़ाएगी परन्तु स्वास्थ्य के लिए यह बहुत अच्छा नहीं है , शुक्र और सूर्य की युति को भी देखा जाये तो ससुराल पक्ष से कुछ लोगों को लाभ भी मिलेगा . भोग – विलासिता की ओर रुझान अधिक होगा तथा माता के साथ वैचारिक मतभेद होने की संभावना बढ़ेगी . आपके अन्दर इस समय स्वार्थपरता अधिक हो सकती है जिससे कारण अपने लोगों से मनमुटाव संभव है.
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मीन : मीन लग्न में शुक्र मुख्य मारकेश की भूमिका में रहता है क्योंकि यह तीसरे और अष्टम भाव का स्वामी है और यह अब आपके दूसरे भाव में प्रवेश करेगा जो बहुत उत्साहवर्धक नहीं है क्योंकि यह आपको जल्दी धन कमाने की प्रवृत्ति उत्पन्न करेगा , जिसके कारण बहुत से लोग पथ भ्रष्ट हो सकते है , इच्छाओं पर यदि नियंत्रण नहीं रख सके तो बड़ी हानि संभावित होगी , जुआ , सट्टा या लाटरी से हानि का प्रबल योग बनेगा . करीबी लोगों और सहोदरों से मन – मुटाव संभव है . इस समय भोग- विलासिता पर धन खर्च करने की प्रवृत्ति बहुत प्रबल रहेगी . सूर्य की युति कुछ आर्थिक विषमताओं के बाद भी सफलता दे सकती है . यदि इस शुक्र की दशा में मंगल का अंतर हो तो यह स्थिति ठीक नहीं होगी आपको स्वयं के लिए बेहद सतर्क रहना होगा , बेहतर है “महामृत्युंजय का जाप“ या कम से कम “रुद्राभिषेक“करें और शिव की उपासना आराधना करें .