(क) होने वाले दंपत्ति एक दूसरे के लिए जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता दिलाने वाले हो (धर्म,अर्थ,काम ,मोक्ष).
(ख) दोनों के स्वभाव में लचीलापन, सहनशीलता, विश्वास, सत्य वादिता, क्षमा शीलता, किसी भी स्थिति में एक दूसरे के साथ निर्वाह करने क़ी क्षमता .एक दूसरे का आदर और सम्मान, धन धान्य, आयु, संतति, आदि के बारे में बिचार कर लेना चाहिए
कुंडली मिलान एक बहुत कठिन और जटिल कार्य है इसमें ज्योतिषी को बहुत समय लगाना पड़ता है. दोनों की कुंडलियों के मिलान के लिए इन आठ बातों का ध्यान रखा जाता है: वर्ण, वश्य, तारा, योनी, गृह मैत्री, गण, भकूट, नाडी
इन आठों के कुल 36 गुण होते हैं. इनका मुख्य उद्देश्य दो कुंडलियों की जाँच कर यह पता लगाना है कि लड़का और लड़की एक दूसरे के लिए उपयुक्त हैं या नहीं. इसके अनुसार:
इन आठ बिन्दुओं को जन्म नक्षत्र से देखा जाता है.
1. वर्ण मिलान: 1 अंक
यदि दोनों में सही है. यह दोनों के अध्यात्मिक विकास के लिए देखा जाता है. जिसका वर्ण क्रम में नीचे होगा वह दूसरे का अनुसरण करता है.
2. वश्य-मिलान: 2 अंक
कौन किसको नियंत्रण में रखेगा ?
3. तारा मिलान: 3 अंक
दोनों एक दूसरे के लिए कितने शुभ और अशुभ हैं.
4. योनि मिलान: 4 अंक
यौन संबंधों के लिए देखा जाता है जो कि सुखी वैवाहिक जीवन का आधार है.
5. ग्रह मैत्री मिलान: 5 अंक होता है
इससे दोनों के स्वभाव, रुचियाँ, विचारधारा में कितना मेल हैं यह चन्द्र राशि पर आधारित होता है. ग्रह-मैत्री का विवाह के लिए बड़ा महत्व है.
6. गण- मैत्री मिलान: 6 अंक होता है
देव, मनुष्य और राक्षस तीन गण होते हैं , ठीक मेल न होने से गृहस्थ जीवन में झगडे और रिश्ते में तालमेल का अभाव रहता है.
7. भकूट मिलान: 7 अंक
दोनों की कुंडली में चन्द्रमा की एक दूसरे से स्थिति कहाँ पर है देखा जाता है. इससे दोनों का एक दूसरे पर विश्वास,स्वास्थ्य, खुशियाँ धन धान्य, और आयु इत्यादि का विचार किया जाता है.
८. नाडी -मिलान: सर्वाधिक 8 अंक
सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है कुंडली मिलान के लिए. तीन नाड़ियाँ, चन्द्र नक्षत्रों के आधार पर वर्गीकरण (आदि, मध्य और अन्त्य). शारीरिक शक्ति, स्वभाव, स्वास्थ्य, इससे जाँचा जाता है. कहा जाता है कि वर -वधु की एक ही नाडी होने से संतानोत्पत्ति में परेशानी होती है.
विशेष : ग्रह मैत्री और भकूट ना मिले तो विवाह नहीं करना चाहिए
इन ८ गुणों के अलावा भी कई और तरीकों से भी कुंडलियों कि जांच कि जाती है जैसे कि:
शुभम भवतु !
ज्योतिषविद पं. दीपक दूबे <View Profile>