" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

ज्येष्ठ नक्षत्र/ Jyeshtha Nakshtra

नक्षत्र देवता: इंद्र

नक्षत्र स्वामी:  बुध

jyeshtha

ज्येष्ठ नक्षत्र  के जातकों का  गुण एवं स्वभाव 

यदि आपका जन्म ज्येष्ठ नक्षत्र में हुआ है तो आप दृढ निश्चयी और मज़बूत व्यक्तित्व के स्वामी है. आप नियम से जीवन व्यतीत करना पसंद करते हैं. आपकी दिनचर्या सैनिकों की तरह अनुशासित और सुव्यवस्थित होती है. आप शारीरिक रूप से गठीले और मज़बूत होते हैं तथा कार्य करने में सैनिकों के समान फुर्तीले होते हैं. किसी के बारे में आपके विचार शीघ्र नहीं बदलते और दूसरों को आप हठी प्रतीत होतें है. आप एक बुद्धिमान और बौधिक विचारधारा पर चलने वाले व्यक्ति हैं. आप बुद्धिमान व्यक्तियों का सम्मान करते हैं और सदैव सच्चे लोगो के बीच रहना पसंद करते हैं.

आप अपने हठीले स्वभाव के कारण जीवन में कई बार कठिनाईयों का सामना करते हैं. आप अपने विचारों पर इतना दृढ रहते हैं की आपको बदलते हुए समय और स्तिथियों के अनुसार ढालना बहुत कठिन कार्य है.  आप अपने साथ बहुत साजो सामान रखना पसंद नहीं करते जबकि ओरों को आप घमंडी प्रतीत होते है .  वास्तिविकता इसके बिलकुल उलट है आप ह्रदय से एकदम सच्चे और पवित्र होते है. आपकी सबसे बड़ी कमी है किसी भी राज़ को आप राज़ नहीं रहने देते, चाहे फिर वह आपका अपना हो या किसी और का. ज्येष्ठा नक्षत्र के जातकों को अक्सर शराब या नशीले पदार्थों का सेवन करते हुए देखा गया है क्योंकि आपमें स्तिथियों से निबटने की अंदरूनी ताकत नहीं होती है. दिखावे में आपका विश्वास नहीं है इसलिए आपके मित्र भी बहुत कम होते हैं.

आप बहुत कम उम्र से ही कमाने लग जाते हैं और आजीवन किसी की मदद लेना पसंद नहीं करते हैं . करियर के कारण आप अपने घर से दूर रहते हैं और 18 से 26 वर्ष तक बहुत से व्यवसाय बदलते हुए आगे बड़ते हैं. अधिक बदलाव के कारण धन की कमी भी आपको अति है. 27 वर्ष के बाद कुछ स्थिरता आती है और आप अपनी मेहनत और लगन के कारण तरक्की पाते हैं.

ज्येष्ठ नक्षत्र के जातक अपने जीवन साथी के कारण सुख और ख़ुशी का अनुभव करते हैं परन्तु पति/पत्नी के रोगी होने पर उनसे दूरी बनाना इनके लिए मजबूरी बन जाता है.

ज्येष्ठ नक्षत्र की जातिका स्वभाव से झगडालू एवं जिद्दी होती है. घात लगाकर सामने वाले से बदला लेना उसके स्वभाव में होता है. अपनी कर्कश जुबान और तीखे व्यक्तित्व के कारण समाज में अक्सर इनकी निंदा की जाती है.

स्वभाव संकेत: दूसरों को मुसीबत में देख आनंद उठाने वाला ज्येष्ठा नक्षत्र का जातक होता है.

रोग संभावना : हाथ और कन्धों के जोड़ों का दर्द, आंत से सम्बंधित रोग, खांसी जुकाम

विशेषताएं 

प्रथम चरण इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक क्रूर होता है. बृहस्पति लग्नेश मंगल का शत्रु है तथा नक्षत्र स्वामी बुध का भी शत्रु है. अतः बुध या मंगल की दशा में बृहस्पति की अन्तर्दशा अशुभ फल देगी. बृहस्पति की अपनी दशा शुभ फलदायी होगी. मंगल की दशा अन्तर्दशा शुभ फलों से परिपूर्ण होगी.

द्वितीय चरण :  इस चरण का स्वामी बुध हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक भोग और विलासितापूर्ण जीवन जीता है. . इस चरण का स्वामी बुध है तथा नक्षत्र स्वामी भी बुध होने के कारण बुध की दशा उत्तम फल देगी. बुध में मंगल का अंतर या मंगल में बुध का अंतर कष्टदायी होगा.

तृतीय चरण :  इस  चरण का स्वामी शनि हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक विद्वान् व्यक्ति होगा. शनि लग्नेश मंगल का शत्रु है परन्तु बुध का मित्र है अतः शनि में बुध का अंतर या बुध में शनि का अंतर शुभ फल देगा. लग्नेश मंगल की दशा अन्तर्दशा शुभ फल देगी.

चतुर्थ चरण :  इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. इस नक्षत्र में जन्मे जातक को पुत्र सुख अवश्य प्राप्त होता है. शुक्र लग्नेश मंगल का मित्र है परन्तु बुध का शत्रु अतः शुक्र की दशा मिश्रित फल देगी और बुध की दशा अत्यंत शुभ फल देगी. मंगल की दशा भी शुभ फलदायी होगी.

  अश्विनी भरणी कृतिका मृगशिरा  रोहिणी पुनर्वसु 
आद्रा पुष्य मघा  अश्लेषा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त
चित्रा स्वाति विशाखा   अनुराधा मूल पूर्वाषाढा उत्तराषाढा
श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद

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