" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

मघा नक्षत्र/Magha Nakshtra

नक्षत्र देवता: पितृ

नक्षत्र स्वामी:  केतु

magha

मघा नक्षत्र  के जातकों का  गुण एवं स्वभाव 

यदि आपका जन्म मघा नक्षत्र में हुआ है तो आप ठिगने कद के साथ सुदृढ वक्षस्थल और मजबूत झंघाओं के मालिक हैं. आपकी वाणी थोड़ी कर्कश एवं गर्दन थोड़ी मोटी है. मघा नक्षत्र में जन्म लेने वालों की आँखें विशेष चमक लिए हुए होती हैं. चेहरा शेर के समान भरा हुआ एवं रौबीला होता है. इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले व्यक्ति प्रायः अपने पौरुष और परुशार्थ के प्रदर्शन के लिए सदा ललायत रहते हैं. मघा नक्षत्र के जातकों को अपने रौबिलेपन को बढाने के लिए शानदार मूंछे रखने का शौक होता है. आप थोडा अभिमानी भी होते है और इसीलिए किसी की छोटी से छोटी बात पर भी शीघ्र ही  नाराज़ भी हो जाते हैं. नाराज़गी में सामने वाले को नीचा दिखने के लिए अपनी बलशाली शक्ति और मर्दानगी का दुरूपयोग करने से भी नहीं हिचकिचाते.

मघा नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति परम तेजस्वी होता है. आप स्वभाव से बहुत  धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं. देवताओं और पितरों को पूजे बिना कोई कार्य आरम्भ नहीं करते हैं

मघा नक्षत्र में जन्मी कन्याएं बहुमूल्य पकवान बनाना पसंद करती हैं. स्वादिष्ट पकवान एवं  सुंदर और आकर्षक वस्त्रों की शौक़ीन  मघा नक्षत्र की महिलाएं हर प्रकार के सुख सुविधा का भोग करती हैं. माता पिता और बड़ों का आदर सम्मान प्राकृतिक रूप से आपके व्यवहार में ही होता है. ईश्वर और पितरों से डरने वाली होती है. 

स्वभाव संकेत: यदि आयु लम्बी हो तो मघा जातक धनवान होता है.

रोग संभावना : हार्ट अटैक, फ़ूड पोइस्निंग, पीठ का दर्द, किडनी सम्बन्धी समस्याएं

विशेषताएं 

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. यहाँ लग्न स्वामी, नक्षत्र स्वामी और नक्षत्र चरण स्वामी सभी में परम शत्रुता है इसलिए  मघा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा व्यक्ति अल्प पुत्र संतति वाला होता है. लग्न बलि नहीं होने से जातक का विकास कार्य रुका हुआ रहता है तथा सूर्य की दशा कमज़ोर फल देगी.

द्वितीय चरण :इस चरण का स्वामी शुक्र  हैं. मघा नक्षत्र के दूसरे चरण में जन्मा व्यक्ति तेजस्वी पुत्र संतति वाला होता है. लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देगी . मंगल की दशा भाग्योदय कारक है पर शुक्र की दशा में पराक्रम बढेगा.

तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. मघा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मा व्यक्ति प्रायः रोगी होता है. जातक को संक्रामक रोग शीघ्र ही जकड लेते हैं. लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देगी . मंगल की दशा भाग्योदय होगा धन प्राप्ति के योग बुध की दशा में प्रबल होंगे.

चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य  हैं. मघा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा व्यक्ति अपने क्षेत्र का विद्वान् पंडित होता है.  लग्नेश सूर्य की दशा उत्तम फल देगी . मंगल की दशा में  भाग्योदय होगा .

अश्विनी भरणी कृतिका मृगशिरा  रोहिणी पुनर्वसु 
आद्रा पुष्य अश्लेशा पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त  चित्रा 
स्वाति विशाखा अनुराधा ज्येष्ठ मूल पूर्वाषाढा उत्तराषाढा
श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद रेवती  


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