" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

मृगशिरा नक्षत्र/ Mrigshira Nakshtra

नक्षत्र देवता: चन्द्र

नक्षत्र स्वामी: मंगल

mrigshira

मृगशिरा नक्षत्र  के जातकों का  गुण एवं स्वभाव 

यदि आपका जन्म मृगशिरा नक्षत्र में हुआ है तो आप स्वभाव से चतुर एवं चंचल होते हैं. आप अध्ययन में अधिक रूचि रखते हैं. माता पिता के आज्ञाकारी और सदैव साफ़ सुथरे आकर्षक वस्त्र पहनने वाले होते हैं. आपको श्वेत रंग अत्यधिक प्रिय है . मृगशिरा नक्षत्र में पैदा हुए जातकों का चेहरा बहुत ही आकर्षक एवं सुन्दर होता है. आपका झुकाव विपरीत लिंग की ओर सामान्यतः अधिक होता है. आपका मन सौम्य परन्तु कामातुर होता है.

भ्रमण करना आपको प्रिय है. आपका अधिकतर जीवन विलासितापूर्ण एवं ऐश्वर्यशाली होता है. आप आर्धिक रूप से धनि होने के साथ साथ बहुत ही सोच समझ  कर धन खर्च करने वाले होते हैं. अपने इसी स्वभाव के कारण मित्रों में आप कन्जूस भी कहलाते हैं. आपकी प्रगति में निरंतर बाधाएं आती रहती हैं तथा जीवन परिवर्तनशील रहता है. आप भी इस परिवर्तन को झेलते हुए जीवन में कई बार कार्य क्षेत्र बदलते हैं. आप किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले उसके हर एक पहलु पर अच्छी तरह सोच विचार कर  लेते हैं. स्वभाव से अक्सर गंभीर और शांत  रहने वाले मृगशिरा नक्षत्र में जन्मे जातक क्रोध कम करते हैं और यदि क्रोधित हो भी जाएँ तो शांत होने पर पश्चाताप भी करते हैं.

इस नक्षत्र में जन्मे जातकों का गायन वाद्य आदि कलाओं में अधिक रूचि होती है. 

स्वभाव संकेत : बाधा रहित वैभव शाली जीवन

संभावित रोग: पेट और पाचन सम्बन्धी रोग, कन्धों में दर्द और जीवन में कोई विशेष दुर्घटना की संभावना 

विशेषताएं 

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य है . सूर्य और मंगल, दोनों ग्रहों का संयोग राजयोग देता है. फलस्वरूप ऐसा जातक राजतुल्य बनता है. उसके पास राजा समान ठाट बाट के सभी वस्तुएं रहती हैं. मंगल और सूर्य में मित्रता के कारण सूर्य और मंगल दोनों की दशाएं शुभ जायेंगी और शुक्र की दशा अन्तर्दशा में जातक की विशेष उन्नति होगी.

द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. अतः बुध और मंगल में शत्रुता के कारण जातक में झूठ बोलने एवं स्वर्ण चोरी के लक्षण आते हैं अर्थात जातक स्वर्णकार होगा . कुछ छिपाने की , चोरी की आदत स्वभाव में हे होती है. शुक्र की दशा अन्तर्दशा में जातक की उन्नति तो होगी परन्तु विशेष भाग्योदय करने में सहायक न होगी.

तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र  हैं. जो विलासप्रिय एवं भोगी हैं. अतः मृगशिरा नक्षत्र के  तृतीय चरण में पैदा होने वाला जातक ऐश्वर्या प्रिय, भोगी, कुटिल बुद्धि वाला होगा.  लग्नेश की दशा शुभ फल देगी.

चतुर्थ चरण :  इस चरण का स्वामी मंगल हैं. अतः मृगशिरा नक्षत्र के  चौथे  चरण में पैदा होने वाले जातक पर मंगल का प्रभाव अधिक रहेगा. जातक का जीवन धन धान्य से युक्त रहेगा एवं सदा लक्ष्मियुक्त रहेगा. लग्नेश बुध और मंगल  की दशा उत्तम फल देगी.

अश्विनी भरणी कृतिका रोहिणी आद्रा पुनर्वसु 
पुष्य अश्लेशा मघा  पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त  चित्रा 
स्वाति विशाखा अनुराधा ज्येष्ठ मूल पूर्वाषाढा उत्तराषाढा
श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद रेवती  


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