नक्षत्र देवता: मित्र
नक्षत्र स्वामी: शनि
यदि आपका जन्म अनुराधा नक्षत्र में हुआ है तो आपका अधिकाँश जीवन विदेशों में ही बीतेगा परन्तु अच्छी बात यह है कि विदेशों में रहकर आप अधिक धन कमाएंगे और समाज में मान सम्मान प्राप्त करेंगे. आप बहुत साहसी एवं कर्मठ व्यक्तित्व के स्वामी हैं. परिस्थितियों की मार के सामने आप झुकने वालों में से नहीं हैं. आप चुपचाप बिना रुके और बिना थके निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं.
आप बहुत दृढ इच्छाशक्ति एवं तीक्ष्ण बुद्धि के मालिक हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक भ्रमणशील प्रवृत्ति का होता है . आप खाने पीने के बहुत अधिक शौक़ीन हैं इसलिए अधिकतर समय आप स्वादिष्ट व्यंजनों की ही खोज में रहते हैं.
सब कुछ होते हुए भी जीवन में कभी कभी ऐसा समय भी आएगा की आप धन की कमी महसूस करेंगे. जन्म स्थान से पृथक होने का दुःख भी यदा कदा सताता रहेगा. परन्तु आप बहुत मेहनती हैं और शारीरिक श्रम से कभी नहीं घबराते इसलिए बहुत जल्द ही घटनायों से उबरने की कोशिश करते है.
अनुराधा नक्षत्र में जन्मी महिलाएं भी खाने की बेहद शौक़ीन होती हैं और सामान्य से अधिक भोजन करने और पचाने में सक्षम होती है. स्वभाव से भ्रमणशील परन्तु झगडालू प्रवृत्ति होने के कारण कभी कभी क्रूरतापूर्वक व्यवहार भी करती हैं.
स्वभाव संकेत: सुंदर बाल अनुराधा नक्षत्र के संकेत हैं.
रोग संभावना : पेट और गले से सम्बंधित रोग एवं स्त्रियों में मासिक धर्म से जुडी समस्याएं.
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक उतावले स्वभाव का होता है. सूर्य लग्न स्वामी मंगल का मित्र है परन्तु लग्न नक्षत्र स्वामी का शत्रु है अतः सूर्य की दशा मिश्रित फल देगी. शनि की दशा में भौतिक रूप से उन्नति होगी. लग्नेश मंगल की दशा अत्यंत शुभ फल देगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक धार्मिक स्वभाव का होता है. बुध लग्न स्वामी मंगल का शत्रु है . बुध में शनि का अंतर एवं शनि में बुध का अंतर शुभ फलदायी होगा. परन्तु शनि में मंगल या मंगल में शनि का अंतर अशुभ फल देगा. मंगल की दशा में जातक उन्नति करेगा.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक दीर्घायु प्राप्त करता है . अनुराधा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र है जो शनि का शत्रु परन्तु मंगल का मित्र है फलतः शुक्र की दशा माध्यम फल देगी . शनि की दशा में पराक्रम बढेगा तथा भौतिक उपलब्धियों की प्राप्ति होगी. मंगल की दशा अत्यंत उत्तम फल देगी.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक प्रायः नपुंसक होता है. अनुराधा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है तथा लग्न स्वामी भी मंगल है अतः मंगल की दशा- अनार्दशा जातक को उत्तम फल देगी. शनि की दशा माध्यम फल देगी क्योंकि शनि और मंगल में शत्रुता है.