नक्षत्र देवता: नैऋति
नक्षत्र स्वामी: केतु
मूल नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव
यदि आपका जन्म मूल नक्षत्र में हुआ है तो आपका जीवन सुख समृद्धि के साथ बीतेगा. धन की कमी आपको कभी नहीं आएगी और आप अपने कार्यों द्वारा अपने परिवार का नाम और सम्मान और बढ़ाएंगे. आप कोमल हृदयी परन्तु अस्थिर दिमाग के व्यक्ति है. कभी आप बहुत दयालु और कभी अत्यधिक नुक्सान पहुंचाने वाले होते है. ऐश्वर्य पूर्ण जीवन के कारण आपका उठना बैठना समाज के धनि एवं उच्च वर्ग के व्यक्तियों के साथ ही होता है, इस कारण आपके व्यक्तित्व में घमंड आना स्वाभाविक है. आपका व्यवहार बहुत ही अनिश्चित होता है, समय और स्थान के साथ ये परिवर्तित हो जाता है.
अपनी आकर्षक आँखों और सम्मोहक व्यक्तित्व के कारण आप अनायास ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन जाते हैं. आप शांतिप्रिय और एक सकारत्मक सोच वाले व्यक्ति हैं जो भविष्य की चिंता छोड़ केवल आज में जीना पसंद करते हैं. मूल नक्षत्र में जन्मे जातक सिद्धांतों और नैतिकता में बहुत अधिक विश्वास करते हैं परन्तु अपनी अस्थिर सोच के कारण कभी कभी आपके व्यवहार को समझना बेहद कठिन हो जाता है. आपमें गंभीरता की कमी है परन्तु ईश्वर पर आपका विश्वास अटूट है.
मूल नक्षत्र के जातक आपने कार्य के प्रति मेहनती और निष्ठावान होतें हैं व् अधिकतर कला, लेखन, प्रशासनिक, मेडिकल या हर्बल क्षेत्र में सफल माने जाते हैं. आप एक प्रभावशाली, बुद्धिमान और नेतृत्व के गुणों से भरपूर व्यक्ति हैं इसलिए यदि आप सामाजिक या राजनीतिक क्षेत्रों में भाग्य अजमाए तो आप शीघ्र ही उच्चस्थ पद प्राप्त कर लेंगे.
अपनी अस्थिर सोच के कारण जीवन में कई बार आप अपने कार्यक्षेत्र बदलते हैं. आप एक अच्छे वित्तीय सलाहकार होते हैं परन्तु केवल दूसरों के लिए. आप बिना सोचे समझे धन खर्च करने वालों में से हैं इसलिए जीवन में कई बार आपको आर्थिक संकट से सामना करना पड़ सकता है.
आपको विदेश में कार्य का प्रस्ताव कभी ठुकराना नहीं चाहिए क्योंकि विदेश में आपका भाग्योदय निश्चित है. जीवन के शरुआती वर्षों में आपको पिता या भाई-बहन का सहयोग न के बराबर मिलने के कारण आप स्वयं संघर्ष कर जीवन में सफल होते हैं.
मूल नक्षत्र जातकों का दांपत्य जीवन बेहद सुखमय एवं संतोषजनक होता है. आपकी पत्नी के कारण आप जीवन में शांति और आनंद का अनुभव करते हैं.
मूल नक्षत्र की जातिका सामान्य से अधिक कद वाली होती हैं. यह अच्छे और बुरे कार्यों में भेद नहीं करती इसलिए पाप कर्मों में रूचि लेने लगती हैं.
स्वभाव संकेत: किसी को मूर्ख बना कर घमंड करना मूल जातकों की निशानी है.
रोग संभावना : कमर और कुल्हे का दर्द, टी बी और लकवा
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. नक्षत्र चरण स्वामी मंगल की गुरु एवं केतु से शत्रुता के कारण इस नक्षत्र में जन्मा जातक जीवन भर भौतिक सुखों के प्राप्ति हेतु संघर्षरत रहता है. लगन्बली न होने के कारण विकास रुका हुआ रहेगा परन्तु सूर्य की दशा अच्छी जाएगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. लग्नेश गुरु की नक्षत्र स्वामी केतु से शत्रुता है परन्तु नक्षत्र चरण स्वामी शुक्र की केतु से मित्रता के कारण जातक में त्याग अथवा दान की प्रवृत्ति अधिक होगी. सूर्य की दशा में जातक का भाग्योदय होगा. शुक्र की दशा भी ख़राब नहीं जाएगी और केतु की दशा शुभ फल देगी.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. मूल नक्षत्र के तीसरे चरण में जनम लेने वाले जातक के अधिक मित्र होंगे एवं सभी सुयोग्य होंगे. लग्नेश गुरु की दशा अति उत्तम फल देगी. सूर्य की दशा में जातक का भाग्योदय होगा. केतु एवं बुध की दशाएं भी शुभ फल देंगी.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी चन्द्र हैं. लग्नेश गुरु और चन्द्रमा की मित्रता के कारण मूल नक्षत्र के चौथे चरण में जन्म लेने वाला जातक राजा के समान सम्मान एवं ऐश्वर्य प्राप्त करता है. लग्नेश गुरु की दशा अति उत्तम फल देगी. सूर्य की दशा में जातक का भाग्योदय होगा. शुक्र की दशा भी ख़राब नहीं जाएगी.