नक्षत्र देवता: इन्द्राग्नी
नक्षत्र स्वामी: गुरु
विशाखा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव
यदि आपका जन्म विशाखा नक्षत्र में हुआ है तो आप शारीरिक श्रम के स्थान पर मानसिक कार्यों को अधिक वरियता देते हैं. शारीरिक श्रम करना आपके बस की बात नहीं है और इससे आपका भाग्योदय भी नहीं होगा. मानसिक रूप से आप सक्षम व्यक्ति है और कठिन से कठिन कार्य को भी अपनी समझ बूझ से शीघ्र ही निबटा लेते हैं. स्वभाव से ईर्ष्यालु परन्तु बोल चाल से अपना काम निकलने का गुण अपमे स्वाभाविक रूप से ही है. वाक् पटुता आपका सहज गुण है. मार्केटिंग और सेल्स मैन शिप का कार्य आपके लिए विशेष लाभप्रद है. ब्लैक मार्केटिंग से भी आपका सम्बन्ध हो सकता है. आपका व्यक्तित्व सुंदर एवं आकर्षक है इसलिए लड़के/लड़कियां हमेश ही आपकी और खिचे चले आते हैं जिसका आप लाभ उठाने से नहीं चूकते. सेक्स के मामले में आप बहुत ही रंगीले व्यक्ति हैं.
विशाखा नक्षत्र में जन्मे जातक को क्रोध शीघ्र ही आ जाता है. विपरीत बात आपसे सहन नहीं होती है और बिना सोचे समझे या परिणाम की चिंता किये बिना आप सामने वाले से टकरा जाते हैं. हालाँकि मन मन ही मन घबराते भी हैं परन्तु अपनी घबराहट बाहर प्रकट नहीं होने देते हैं. क्रोधित होने पर अपशब्द कहना और बाद में पछताना आपके व्यवहार में है.
यदि आपका जन्म 17 अक्टूबर से 13 नवम्बर के बीच हुआ है तो आपका आत्मबल बेहद कमज़ोर होगा. हालाँकि दिमाग में रात दिन कुछ न कुछ चलता रहता है या यूँ कहे ख्याली पुलाव पकते रहते हैं. आप कला और विज्ञान के क्षेत्र में भी रूचि रखते हैं. बचपन से ही पिता के साथ आपका मन मुटाव चलता रहता है. किशोरावस्था तक जीवन में लापरवाही रहती है. एवं उद्देश्य की कमी के कारण भटकाव भी होते हैं.
विशाखा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ धार्मिक प्रवृत्ति की होती हैं. विशाखा नक्षत्र की जातिका उद्यमी परन्तु स्वभाव की कोमल एवं नम्र ह्रदय की होती हैं. धन ,ऐश्वर्ययुक्त एवं सत्य का साथ देने वाली होती हैं. अपने इन्ही गुणों के कारण विशाखा नक्षत्र में जन्मी स्त्रियाँ समाज में मान सम्मान तथा पूजनीय स्थान प्राप्त करती हैं.
स्वभाव संकेत: ईर्ष्यालु प्रवृत्ति
रोग संभावना : चमड़ी के रोग, मधुमेह, पेशाब और स्त्रियों में गर्भाशय से सम्बंधित रोग, टी बी इत्यादि
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक तर्कशील एवं नीतिशास्त्र में निपुण होता है. लग्न नक्षत्र स्वामी गुरु एवं नक्षत्र चरण स्वामी मंगल में परस्पर शत्रुता होने से गुरु एवं धनेश मंगल दोनों की दशाएं अशुभ फल देंगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. गुरु व् शुक्र के प्रभाव से जातक धार्मिक शास्त्रों का ज्ञाता, दार्शनिक एवं शास्त्रवेत्ता होता है. गुरु एवं शुक्र की परस्पर शत्रुता के कारण गुरु की दशा अशुभ फल देगी. गुरु में शुक्र या शुक्र में गुरु का अन्तर भी अशुभ फल देगा.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. गुरु ज्ञान एवं बुध तर्क का प्रतीक है. ऐसे जातक में वाद विवाद और तर्क करने की प्रखरता आती है. शुक्र की दशा माध्यम फल देगी. गुरु एवं बुध में शत्रुता होने से गुरु एवं बुध दोनों की ही दशा अशुभ फल देगी.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी चन्द्र है. चन्द्र मंगल तथा बृहस्पति दोनों का ही मित्र है फलतः चन्द्रमा की दशा में जातक का भाग्योदय होगा. मंगल की दशा भी शुभ फल देगी. जातक लग्न बलि एवं चेष्टावान होगा. विशाखा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्म लेने वाला जातक लम्बी आयु भोगने वाला होता है.