नक्षत्र देवता: वसु
नक्षत्र स्वामी: मंगल
धनिष्ठा नक्षत्र के जातकों का गुण एवं स्वभाव
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मा जातक सभी गुणों से समृद्ध होकर जीवन में सम्मान और प्रतिष्ठा पाता है. आप स्वभाव से बहुत ही नरम दिल एवं संवेदनशील व्यक्ति होते हैं. आप दानी और अध्यात्मिक व्यक्ति हैं परन्तु अपनी इच्छाओं के विरुद्ध जाना आपके बस में नहीं है. आपका रवैया अपने प्रियजनों के प्रति बेहद सुरक्षात्मक होता है किन्तु फिर भी आप दूसरों के लिए जिद्दी और गुस्सैल ही रहते हैं.
आप एक ज्ञानी व्यक्ति हैं जो किसी भी आयु में ज्ञान अर्जन करने में संकोच नहीं करते है.अपने इसी गुण के कारण आप किसी भी प्रकार के कार्य को निपुणता के साथ पूर्ण करने में सक्षम रहते हैं. आप संवेदनशील तो हैं परन्तु कमज़ोर नहीं. आप मानवता में विश्वास रखने वाले व्यक्ति हैं जो दूसरों को कडवे वचन कभी नहीं बोल ससकते . धनिष्ठा जातक कभी विरोध की भावना नहीं रखते परन्तु अपने साथ हुए दुर्व्यवहार को कभी भूलते भी नहीं. आप सही समय आने पर अपने तरीके से बदला लेते हैं.
अत्यधिक ज्ञान और तीक्ष्ण बुद्धि के कारण आप जीवन में नयी ऊचाईयों को छूते हैं. अधिकतर घनिष्ठा जातकों को इतिहास या विज्ञान के क्षेत्रों में कार्यरत देखा गया है. रिसर्च और वकालत के क्षेत्रों में आप तरक्की करते हैं. घनिष्ठा नक्षत्र में जन्मे जातक किसी भी बात को छुपा कर रखने में सक्षम होते हैं. यह अपने भेद जल्दी ही किसी को नहीं बताते.
आप अपने कार्य के प्रति बेहद सजग एवं वफादार होते हैं . अपने जीवन के 24 वर्ष के बाद आपको अपने करियर में स्थिरता मिलेगी. आप अपने कार्य को लग्न और निष्ठापूर्वक करने में विश्वास रखते हैं परन्तु व्यवसायिक कार्यक्षेत्र में अपने अधिनस्त कर्मचारियों से आपको सावधान रहने की आवश्यकता है.
धनिष्ठा जातकों का बचपन सभी सुख सुविधायों से परिपूर्ण होता है. आप अपने भाई बहनों से बेहद लगाव रखते हैं. समाज और परिवार में आप का स्थान अति सम्मानीय होता है परन्तु जीवन में कई बार आपको अपने रिश्तेदारों द्वारा परेशानी और रुकावटें झेलनी पड़ती हैं. आपको अपने पूर्वजों की धन सम्पदा भी प्राप्त होती है.
आपको अपने जीवन में ससुराल पक्ष से अधिक सहयोग प्राप्त नहीं होता है और न ही आपके सम्बन्ध उनसे मधुर होते हैं परन्तु एक गुणी एवं सुयोग्य पत्नी के कारण आपका दांपत्य जीवन ठीक चलता है.
धनिष्ठा नक्षत्र में जन्मी जातिका को साज श्रृंगार में अधिक रूचि होती है परन्तु जीवन में धन की कमी को झेलने के कारण इनमे सन्यासियों जैसी प्रवृत्ति जन्म ले लेती है. धनिष्ठा जातिकाओं का वैवाहिक जीवन दुःख से भरा होता है.
स्वभाव संकेत: धनिष्ठा जातक किसी से नहीं घबराते
रोग संभावना : हाथ पैर की हड्डी टूटना, रक्तचाप अथवा ह्रदय से सम्बंधित रोग
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य हैं. धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मा जातक लम्बी आयु वाला होता है. धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण का स्वामी सूर्य शनि का शत्रु है परन्तु मंगल का मित्र अतः सूर्य की दशा अशुभ फल देगी शनि की दशा में जातक को उत्तम स्वस्थ्य व धन की प्राप्ति होगी. मंगल की दशा में जातक को भौतिक उपलब्धियां प्राप्त होंगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. धनिष्ठा नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्मे जातक की गिनती समाज के विद्वानों में होती है. धनिष्ठा नक्षत्र के द्वितीय चरण का स्वामी बुध शनि का शत्रु है और मंगल का भी . अतः बुध की दशा जातक को अपेक्षित फल नहीं दे पाएगी परन्तु शनि की दशा उत्तम फलदायी होगी.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा जातक थोडा डरपोक होता है. धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण का स्वामी शुक्र शनि का शत्रु है और मंगल का भी . अतः शुक्र की दशा जातक को अपेक्षित फल नहीं दे पाएगी परन्तु शनि की दशा अन्तर्दशा उत्तम फलदायी होगी.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण में जन्मा जातक महान नारी का पति होता है. धनिष्ठा नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी मंगल है और नक्षत्र स्वामी भी मंगल . अतः मंगल की दशा जातक को राजयोग प्रदान करेगी. शनि की दशा में जातक को उत्तम स्वस्थ्य व धन की प्राप्ति होगी.