नक्षत्र देवता: विश्वकर्मा
नक्षत्र स्वामी: मंगल
चित्रा नक्षत्र में जन्म लेने वाला जातक शारीरिक रूप से मनमोहक एवं सुन्दर आँखों वाला होता है. आपको अनेक प्रकार की साज सज्जा का शौक होता है तथा अपने लिए नित नए आभूषण एवं वस्त्र आप खरीदते ही रहते हैं. आपका व्यक्तित्व आकर्षक एवं शारीरिक रूप से संतुलित होते हैं. व्यक्तित्व के यही गुण आपको भीड़ से अलग करते हैं. आपकी पसंद और सोच में अनूठापन है जिससे अक्सर महिलाएं आकर्षित हो जाती है. आप स्वभाव से कामुक एवं स्त्रियों में अधिक रूचि रखने वाले होते हैं.
आप बेहद संवेदनशील हैं तथा भावुक हैं इसलिए आपकी बुद्धि अस्थिर रहती है और आपको निर्णय लेने में कठिनाई अक्सर आती है. आप एक शांतप्रिय व्यक्ति हैं परन्तु अपनी स्पष्टवादिता के कारण विवादों में अक्सर फंस जाते हैं. आपमें सुन्दरता और गुणों का समावेश है. आप दयालु और गरीबों के मदद करने वालों में से हैं. शत्रुओं को मुंहतोड़ जवाब देने की उपेक्षा आप अपने आप को बचाना बेहतर समझते है.
चित्र नक्षत्र में जन्मा जातक परिश्रमी होता है और अपने इसी गुण के कारण अपने जीवन में आई कई कठिनाईयों को पार करते हुए उन्नति पाता है. कभी कभी आपको अपने द्वारा की गई मेहनत से अधिक भी मिल जाता है. आपका जीवन 32 वर्ष तक उथल पुथल भरा रहता है परन्तु 32 से 52 वर्ष तक का समय आपके जीवन का बेहतर समय कहा जा सकता है. आप अपने पिता से अधिक माता से निकट होंगे हालाँकि आपके पिता समाज में एक सम्मानीय व्यक्ति होंगे परन्तु किसी कारणवश आपकी उनसे दूरी आजीवन बनी रहेगी. चित्रा नक्षत्र में जन्मा व्यक्ति अपने जन्म स्थान से दूर जाकर ही सफल होता है. वैवाहिक जीवन में कुछ खटास रहती है परन्तु पारिवारिक जीवन में स्थिरता रहती है.
चित्रा नक्षत्र में जन्मी महिलाएं सफ़ेद वस्त्र पहनना पसंद करती हैं. सुंदर तथा हंसमुख स्वभाव वाली चित्रा जातिकाएं ईश्वर में विश्वास रखने वाली होती हैं. आप माता पिता की प्रिय तथा आपके नेत्र विशेष रूप से सुंदर होते हैं.
स्वभाव संकेत: सुंदर नेत्र
रोग संभावना : अल्सर, किडनी सम्बंधित रोग, दिमागी बुखार , अपेंडिक्स आदि.
विशेषताएं
प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी सूर्य हैं. इस नक्षत्र में पैदा हुए जातकों का झुकाव चोरी एवं तस्करी में अधिक होता है. लग्नेश बुध की दशा शुभ फल देगी. शुक्र की दशा में जातक का भाग्योदय होगा. सूर्य की दशा अशुभ फलदायी होगी.
द्वितीय चरण : इस चरण का स्वामी बुध हैं. इस नक्षत्र में पैदा हुआ जातक सौंदर्य प्रेमी होता है एवं उसकी रूचि संगीत, कला, चित्रकारी या फोटोग्राफी जैसे विषयों में अधिक होती है. लग्नेश बुध की दशा माध्यम फल देगी.
तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शुक्र हैं. नक्षत्र स्वामी मंगल एवं लग्नेश तथा नक्षत्र चरण स्वामी शुक्र दोनों ही कामुक गृह हैं. फलतः जातक कामुक होगा तथा पराई स्त्री में रूचि रखने वाला होगा. लग्न बलि न होने के कारण जातक का विकास रुका हुआ रहेगा. लग्नेश शुक्र एवं मंगल की दशा में कोई काम नहीं बनेगा.
चतुर्थ चरण : इस चरण का स्वामी मंगल हैं. नक्षत्र स्वामी मंगल एवं नक्षत्र चरण स्वामी भी मंगल होने के कारण जातक के शारीर पर चोट अथवा पीड़ा का निशान रहेगा. लग्नेश शुक्र की दशा अच्चा फल देगी. मंगल की दशा अन्तर्दशा उत्तम फल देगी.