" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
" ज्योतिष भाग्य नहीं बदलता बल्कि कर्म पथ बताता है , और सही कर्म से भाग्य को बदला जा सकता है इसमें कोई संदेह नहीं है "- पं. दीपक दूबे
Pt Deepak Dubey

आद्रा नक्षत्र/ Adra Nakshtra

नक्षत्र देवता: शिव

नक्षत्र स्वामी:  राहु

aadra

आद्रा नक्षत्र  के जातकों का गुण एवं स्वभाव 

यदि आपका जन्म आद्रा नक्षत्र में हुआ है तो आपकी रूचि अध्यन में बहुत अधिक होगी. आप सदैव ही अपने आस पास की घटनायों के बारे में जागरूक रहते हैं . किताबों से विशेष लगाव आपकी पहचान है. एक और विशेषता जो की आद्रा नक्षत्र में पैदा हुए जातकों में अक्सर देखी गयी है वह है उनकी व्यापार करने की समझ. अपनी तीक्ष्ण व्यापारिक बुद्धि के कारण आप व्यापर क्षेत्र में शीघ्र ही सफलता की उचाईयों को छू लेने में सक्षम होते है.

आपमें भविष्य में घटित होने वाली घटनायों का पूर्वाभास करने की अजब क्षमता होती है.  दूसरों की मन की बात भी आप आसानी से भांप लेते हैं, इसलिए जीवन में धोखा खाने की संभावनाएं कम ही रहती है  मीठी और रसीली बातें आपके व्यवहार में हैं इसलिए व्यापारिक संस्थायों में अधिकतर जनसंपर्क के पद के लिए आपको चुना जाता है. कड़े अनुशासन में रहना आप के बस की बात नहीं है .

जहाँ आप से किसी के दिल की बात छुपी नहीं रहती वहीँ आप अपने दिल की बात की किसी की भनक भी नहीं लगने देते . आप एक अन्तेर्मुखी व्यक्ति हैं जो शीघ्र ही किसी के सामने आपने दिल की बात नहीं रखते . कभी कभी आप रहस्यवादी बन जाते हैं जिसके मन की थाह पाना बहुत कठिन होता है. आप दिमाग से अधिक दिल की सुनने वाले व्यक्ति हैं. आप अक्सर सुनते सभी की हैं परन्तु करते हैं केवल अपने मन की. इस कारण आपको कभी कभी नुक्सान भी उठाना पड़ जाता है.  आप धन खर्च करने से पहले सोच विचार नहीं करते इस कारण जीवन में अधिकतर आप धन की कमी महसूस करते हैं. 

स्वभाव संकेत : क्रोधी एवं अभिमानी

संभावित रोग: अस्थमा, दमा, डिप्थेरिया

विशेषताएं 

प्रथम चरण : इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं. राहु और बृहस्पति की युति के कारण गुरु चंडाल योग बनता है अतः इस योग में जन्मा जातक बहुत धन खर्च करने वाला व्ययी होता है. लग्नेश बुध की दशा अति उत्तम फल देगी तथा आपका भाग्योदय बृहस्पति की दशा में होगा.

द्वितीय चरण :  इस चरण का स्वामी शनि हैं. जो स्वल्प धनि है, राहु भी स्वलप धनि है अतः दोनों के योग के कारन जातक अपने जीवन काल में दरिद्रता का शिकार हो जाता है. लग्नेश बुध की दशा अति उत्तम फल देगी तथा आपका भाग्योदय बृहस्पति और शनि की दशा में होगा.

तृतीय चरण : इस चरण का स्वामी शनि हैं. शास्त्रों के अनुसार आद्रा नक्षत्र के तीसरे चरण में जन्मे जातकों की आयु सामान्यतः कम होती है.  लग्नेश बुध की दशा अति उत्तम फल देगी. राहु भी शुभ फल देगा. तथा शनि की दशा में जातक का भाग्योदय होगा.

चतुर्थ चरण इस चरण का स्वामी बृहस्पति हैं. राहु और बृहस्पति की युति के कारण गुरु चंडाल योग बनता है अतः इस योग में जन्मे जातक में चोरी करने  की आदत पड़ जाती है. लग्नेश बुध की दशा अति उत्तम फल देगी. राहु भी शुभ फल देगा.

अश्विनी भरणी कृतिका मृगशिरा  रोहिणी पुनर्वसु 
पुष्य अश्लेशा मघा  पूर्वाफाल्गुनी उत्तराफाल्गुनी हस्त  चित्रा 
स्वाति विशाखा अनुराधा ज्येष्ठ मूल पूर्वाषाढा उत्तराषाढा
श्रवण धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद रेवती  


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